सोमवार, 20 जनवरी 2020

डिव,क्लास और आईडी क्या है HTML मे (WHAT IS DIV,CLASS AND ID ATTRIBUTE IN HTML) -knowledge in maatrabhasha



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डीव,क्लास और आईडी क्या है HTML मे (What is class and id attribute in HTML)

1) div :- यह HTML मे बहुत आवश्य्क टॅग(tag) है इसे हम सभी जगह पर उपयोग कर सकते है। इसे लगाने से वेबसाइट पर एक जगह बन जाती है जैसे की आपके पास कोई जमीन है और आप उसे टुकडो मे विभाजित करना चाहते हो तो आप बीच मे एक रेखा यानी कि लाईन खीच दोगे जिससे वह दो हिस्सो मे बट जाएगा और यदि आप उन दोनो हिस्सो मे रेखा खिचेंगे तो उसमे और हिस्से हो जाएंगे और आप उन हिस्सो मे अपना कुछ भी बना या निर्माण कर सकते हो ठिक वैसा ही कार्य डिव टॅग(div tag) करता बस अंतर इतना है की इसे आपको वेबसाइट पर करना हो तो उपयोग करते हो । हम आपको इसका उदाहरण एक फोटो देकर दिखाएंगे।



आपने देखा की डिव(div) का क्या करता है। अगर भविष्य मे यदि आपको इनमे बदलाव करना है तो यह बहुत उपयोगी साबित होते है जैसे यदि आप इन वाक्यो के पीछे के जगह को रंग दे सकते है अब आप सोच रहे होंगे की कैसे यह होगा तो हम आपको बता देते है की ऐसा कुछ एट्रिब्युट से कर सकते है जैसे की पीछे की जगह का रंग बदलनेवाला एट्रिब्युट(attribute) जिसे अंग्रेजी मे background-color एट्रिब्युट(attribute) कहते है और हम इसका ही उपयोग करेंगे इसे bgcolor भी लिख सकते है लेकिन कही-कही आपको पुरा नाम भी लिखना पड्ता है यह रंग(colour) देना आकर्षक बनाना यह सीएसएस(css) का हिस्सा है यह HTML मे उपयोग नही किया जाता लेकिन फिर भी हम आपको यह बताएंगे क्योंकी कोई भी वेबसाइट सिर्फ HTML से नही बनाई जा सकती है। हम आपको इसका उदाहरण एक और फोटो द्वारा देंगे।



जैसा की आप देख रहे होंगे की कैसे पीछे की जगह को रंग किया जाता है इसमे आप समझ गए होंगे की कैसे डिव टॅग(div tag) उपयोगी होता है इसका उपयोग आप समूह को बनाने के लिए करे क्योंकी यह बहुत ही आवश्य्क और सीएसएस(css) के लिए यह बहुत उपयोगी होता है अथवा इसका उपयोग करने से आपका वेबसाइट इंटरनेट(internet) पर बहुत जल्दी खुलेगा क्योंकी ब्राउजर(browser) को एक साथ सारी चीजे यानी की कोड(code) को रिड(read) करके दिखाने मे समय लगता है इससे आपकी वेबसाइट तेज होगी।

2) class :- यह एक एट्रिब्युट(attribute) है जिसे सीएसएस(css) मे उपयोग किया जाता है और इसे आप बहुत सारे एलेमेंट(element) को एक साथ सभी मे एक जैसा व्यवहार कराया जाता है। उदाहरण के लिए जैसे किसी पाठशाला मे बहुत सारे विद्याथी होते है जिन्हे अलग-अलग शिक्षा दी जाती है वर्ष और शिक्षा के हिसाब से और उन्हे अलग-अलग नामो से अलग-अलग किया जाता है जैसे पहली कक्षा,दुसरी,तीसरी और चौथी कक्षा और यदि उस पाठशाला के प्रधानाचार्य को पहली के छात्रो को छुट्टी देना है तो वह पहली कक्षा का नाम लेंगे और पहली कक्षा मे जितने भी छात्र होंगे उनकी छुट्टी कर दी जाएगी ठिक वैसे ही इसका कार्य होता है यदि आपने बहुत सारी कोडिंग(coding) की है वेबसाइट के लिए और आपको वेबसाइट मे बदलाव करना है और आप चाहते हो की कुछ ही कोडिंग(coding) मे बदलाव हो तो ऐसे मे क्लास(class) इस एट्रिब्युट(attribute) उपयोग किया जाता है इसे आपको डिव टॅग के अंदर क्लास(class) लिखकर उसका कोई मुल्य दे दे और इसे आप बाद मे स्टाईल टॅग(style tag) को हेड टॅग(head tag) के अंदर टाईप(type) करना है और उसमे क्लास(class) का नाम लिखकर उसी के पास मे कोष्ट्क(bracket) बनाकर उसमे लिखना होता है और वह कोड आपने जिस-जिस कोड मे वह क्लास और उसका मुल्य होगा उसमे बदलाव हो जाएगा इससे समय और मेहनत बचती है और ज्यादा कोड नही करना पडता है एक बार लिखने के बाद सभी पर एक साथ प्रभाव होता है।



इस कोड को आप देखकर समझ ही गए होंगे की कैसे क्लास टॅग का उपयोग किया जाता है और अब इसे रन करने के बाद कुछ ऐसा परिणाम आता है।

3) id :- आईडी(id) का उपयोग भी क्लास(class) की तरह ही है अब हम आपको उदाहरण द्वारा समझाते है जैसे की आपने पाठशाला का उदाहरण देखा होगा अब उसे ही यहाँ आगे बढा रहे है प्रधानाचार्य ने पहली कक्षा के छात्रो को छुट्टी दे दी लेकिन अब प्रधानाचार्य उस कक्षा से एक छात्र को छुट्टी नही दे रहे है तो प्रधानाचार्य को यह बात उस छात्र हो कहनी है तो वह कैसे कहेंगे प्राधानाचार्य उस कक्षा मे स्थित उस छात्र का नाम लेंगे और कहेंगे ठिक वैसे ही आईडी(id) का कार्य होता है इसे वैसे ही लिखा जाता है जैसे क्लास(class) को लिखा जाता है इसे स्टाईल टॅग(style tag) मे दर्शाने के लिए # इस चिन्ह का उपयोग करते है। उदाहरण के लिए फोटो देखे।



इस प्रकार आईडी टॅग(id tag) का उपयोग किया जाता है आप आईडी(id) मे कुछ भी नाम दे सकते है कोई विशेष नाम नही दिया जाता है इसमे कुछ भी नाम दे सकते है और क्लास(class) मे भी इसी प्रकार होता है। हम इस कोड का परिणाम(result) दिखा देते है।

इसी प्रकार इनका उपयोग होता है और यह बहुत जरुरी विषय है HTML मे।



शुक्रवार, 17 जनवरी 2020

HTML सीखे हिंदी मे (LEARN HTML BASICS IN HINDI) - Knowledge in maatrabhasha



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HTML सीखे हिंदी मे (LEARN HTML IN HINDI)



HTML के बारे मे

HTML यह भाषा एक हाईपर टेक्स्ट मार्कअप भाषा(hyper text markup language) है जिससे वेबसाइट का निर्माण करने के लिए किया जाता है और यह एक बहुत ही आसान भाषा है जिसे वेबसाइट बनाने के लिए सबसे पहले सीखना चाहिए। आप यह भाषा सीखने आप कम्प्युटर मे नोटपॅड(notepad) या नोटपॅड++(notepad++) का उपयोग कर सकते है या यदि आप इसे पहली सीख रहे है तो आप इन्ही का उपयोग करे। अगर आप एक वेबसाइट बनाते है तो आपको तीन भाषाओ का ज्ञान थोडा बहुत तो होना ही चाहिए। वेबसाइट बनाने के HTML यह एक ढांचे का काम करता है जैसे की वेबसाइट का रंग और उसपर मौजुद कोई चित्र(image) कहाँ लगाना है उसमे मदद करता है यह ऐसा है जैसे की कोई शरीर बिना हड्डी के ढांचे(skeleton) बिना नही होता वैसे ही यह होता है बाद मे इसे आकर्षक बनाने के लिए सीएसएस(CSS) का उपयोग करते है जिससे एक वेबसाइट आकर्षक(responsive,attractive) दिखती है और यदि आप अपनी वेबसाइट को और अच्छा दिखाना चाहते है तो आपको जावास्क्रिप्ट(JAVASCRIPT) की जरुरत होगी। किसी वेबसाइट को दो भाषाओ द्वारा भी बनाया जाता है और वह HTML और CSS है इनसे किया जाता है।

HTML मे जो भी अक्षर या शब्द < > मे होता है वह चालू टॅग(opening tag) होता है और इसका एक बंद टॅग(closing tag) होता है जिसे < / > इस प्रकार दर्शाया जाता है इसके अलावा कुछ और टॅग भी होते है जिसे बंद टॅग की जरुरत नही होती है इसके बारे मे हम आपको बाद मे बतायेंगे अभी हम आपको इसके मुल यानी की बॅसिक(basic) के बारे मे बतानेवाले है।



अब आप जैसे ऊपर कुछ और टॅग दर्शाए गए है हम आपको एक-एक करके बतानेवाले है।

1)< !doctype html > :- आपने यह चित्र मे सबसे ऊपर देखा ही होगा यह किसी भी वेबसाइट(website) मे लगता ही लगता है जब वह HTML का होता है तो और HTML यह सभी वेबसाइट मे लगाना ही पडता है इससे यह पता चलता है सर्वर(server) को की यह जो डॉक्युमेंट(document) है वह HTML का है इसमे !doctype लिखकर HTML लिखना होता है आप जब HTML लिखते है तो सर्वर को यह पता चलता है की यह डॉक्युमेंट HTML भाषा मे है। यह टॅग़ आपको हमेशा शुरुआत मे ही लिखना होता है।

2) html :- यह टॅग आपने चित्र मे देखा है अब हम आपको इसका मतलब बताते है यह टॅग़ HTML को शुरुआत को दर्शाता है की जो भी प्रोग्रामिंग कोड है आपको इसके अंदर लिखना है यदि आप इस टॅग के बाहर आप जो भी कोड(code) लिखेंगे तो वह आपकी वेबसाइट पर दिखाई नही देगा आपको इसके अंदर ही लिखना है। यह टॅग जहाँ शुरु हो रहा है और जहाँ यह बंद हो रहा है उसके अंदर ही लिखना होगा। जैसा की यहाँ बताया गया है < html > चालू टॅग है और इसे बंद करने के लिए < / html > है।

3) head :- < head > यह टॅग भी आपको सबसे ऊपर लिखना है और यह ऊपर ही लगाया जाता है। यह इसलिए लिखना है जैसे की आप किसी शरीर का चित्र बना रहे है तो आप कभी-भी सिर(head) से शुरु करते है वैसे ही यहाँ पर भी आप head टॅग का उपयोग करके सिर से शुरु करना है और आप इसमे आपको इसके अंदर कुछ और शब्द दिखाई दे रह्र होंगे जैसे की meta यह HTML डॉक्युमेंट के बारे मे दर्शाता है और इसमे जो charset="utf-8" लिखा है वह यह बताता है की आपका जो डॉक्युमेंट है उसमे सभी भाषाओ(languages) का उपयोग हो रहा है इसमे charset कीसी भाषा को दर्शाने के लिए उपयोग किया जाता है और utf-8 का अर्थ है सभी भाषा यानी की आपको सभी भाषाओ का उपयोग अपने डॉक्युमेंट मे करना है तो इसे ही लिखना होगा। अब आप title टॅग देख रहे होंगे यह अपके डॉक्युमेंट का टाईटल(title) यानी की शीर्षक(heading) लिखने के लिए उपयोग किया जाता है और आपके डॉक्युमेंट का नाम आपको देना होगा वह आप इसके अंदर लिखना होता है और यह किस प्रकार दिखाई देता है उसे हम आपको एक फोटो मे दिखाएंगे। इन दोनो टॅग(head,title) को यदि आप चालु करते है तो उसे बंद भी करना पडता है हमने फोटो मे किया है और meta टॅग यह खुला हुआ टॅग(opening tag) है इसे बंद नही करना पड्ता है ।



जैसा की आपने देखा ऊपर फोटो मे की < title > html code < / title > लिखने पर वह कहा आता है और आपका डॉक्युमेंट(document) जिस किसी भी विषय पर है यहाँ पर आपको थोडा-सा बताना पडता है जैसे की आप किसी कहानी या पाठ का नाम लिखते है यह वैसा ही है।

3) body :- यह टॅग बहुत जरुरी टॅग है जब भी हमे वेबसाइट के पेजपर कुछ दर्शाना होता है तो हम उसे इसके अंदर लिखते है। यह टॅग और ऊपर दिए गए सभी टॅग(tag) बहुत ही आवश्यक और है,जबतक हम इस टॅग का उपयोग या इसे लगाते नही तब तक हमे वेबसाइट(website) पर कुछ दिखाई ही नही देगा और लगाने के बाद हम जो चाहे वह वेबसाइट पर दिखा सकते है इस टॅग को भी बंद करना पडता है । हम आपको एक और फोटो द्वारा उदाहरण देते है की कैसे यह होता है।



अब हम आपको एट्रिब्युट(attribute) और इलेमेंट(element) के बारे मे बतानेवाले है हम आपको यह नीचे दिए गए फोटो(image) मे यह दर्शाने वाले है।



5) element :- हम टॅग को ही इलेमेंट(element) कहते है और एक टॅग(TAG) के अंदर बहुत सारे टॅग(tag) हो सकते है या होते है और जिसे हम चालु टॅग(opening tag) कहते है जिसका कोई बंद टॅग(closing tag) नही होता है उसे यहाँ empty element कहते है।

6) attribute :- जिसे हम टॅग के अंदर लिखते है उसे हम attribute कहते है जैसा की फोटो मे दिया गया है उसे ही attribute कहते है और इसका एक मुल्य होता है जिसे इसके अंदर लिखा जाता है यह कुछ भी हो सकता है जैसे यह अक्षर,संख्या वाक्य भी हो सकता है जिसे वॅल्यु(value) अथवा हिंदी मे गुण कहते है इसे आप गुण कह सकते है जैसे की किसी इंसान कि मोटाई ज्यादा होती है किसी की लंबाई ज्यादा होती है और कोई मानव विशेष गुणो से सपन्न होता है ठिक वैसे ही यह attribute होता है इसका उपयोग करके आप किसी भी टॅग मे इसका उपयोग करके उसे मन चाहा आकार दे सकते है और भी बहुत कुछ करवा सकते है। width यह एक attribute या गुण का नाम है जिसे आप किसी टॅग की मोटाई बढाने या उसे मोटाई दे सकते है वैसे ही height होता है जिससे आप लम्बाई दे सकते हो आपको बस यह इस प्रकार लिखना होता है width="100px" जैसे की बताया गया आपको attribute का नाम लिखकर उसमे उसका आकार लिखना होगा कि वह कितना बडा होगा जैसे की 100ps,50px,500px आप जितना चाहे उतना दे सकते है।


बुधवार, 15 जनवरी 2020

HOW FILM INDUSTRIES MAKING MONEY AND HOW SET THERE NETWORK INTO THEATRE IN HINDI - जानिए फिल्म उद्योग रुपए कैसे कमाता है हिंदी मे



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फिल्मे पैसा कैसे कमाती है(HOW FILM INDUSTRIES MAKING MONEY)



कुल फिल्म बनाने का खर्चा(MOVIE MAKING COST)

फिल्मे बनाने के लिए खर्चा तो होता है अगर कोई शानदार फिल्म बनानी होतो फिल्मो पर खर्चा तो ज्यादा हो ही जाता है अर कभी-कभी फिल्म रिलीज होने बाद भी अपना खर्चा नही निकाल पाती है तो ऐसे मे फिल्म निर्माताओ(PRODUCER) की जेब बहुत बुरी तरह से कटती है तो ऐसे मे फिल्म निर्माताओ के पास और भी तरिके होते है फिल्मो से पैसे कमाने के तो आज हम आपको इसी के बारे मे बतानेवाले है की फिल्मे पैसे कैसे कमाती है। फिल्म जब बनकर तैयार हो जाती है और जब उसका खर्च बताया जाता है तो उसमे सभी खर्च होते है जैसे की कलाकार की फिस,शूटिंग के लिए ली गई जगह का किराया,सभी का खाना-पीना और रहने और तो और विज्ञापन और प्रमोशन का खर्च भी मिलाया जाता है।

फिल्म बनने के बाद उसका थियेटर तक का सफर (FILM GOES TO THETRE)

फिल्म बनने के बाद उसे वितरक के पास भेजी जाती है कई निर्माता तो खुद की वितरक(DISTRIBUTING) कंपनी रखते है और एक वितरक(DISTRIBUTOR) थियेटर मालिको के साथ एक समझौता यानी की करारनामा(AGREEMENT) होता है जिसका हर एक थियेटर मालिक पालन करता है उसमे वितरक का हिस्सा भी दर्शाया गया होता है और इसपर समझौता पक्का होते ही इसकी रिलीज की तारीख और इसे देशभर मे कितनी स्क्रीन(SCREENS) मिली है उसे जनता को बताया जाता है और उसके बाद रिलीज के दिन पर फिल्म रिलीज होती है।

फिल्मे पैसा कैसे कमाती है (HOW MOVIES MAKING MONEY)

फिल्म का मुख्यत: पैसे कमाने का भडार तो थियेटर ही होते है जिनमे दर्शक फिल्म देखने जाते है वहाँ दर्शको(AUDIENCE) को टिकट लेना पडता है और इसी टिकट के जरिए फिल्मे पैसा कमाती है। फिल्मे पैसे कितना कमाएंगी यह फिल्म और उसे मिली स्क्रीन्स पर होता है जो बहुत असर करता है तो अब टिकटो से पैसे कैसे कमाए जाते है इसपर आते है तो हम आपको एक उदाहरण देते है की समझो यदि कोई फिल्म आपने बना ली और उसका कुल खर्च लगभग 50 करोड हुआ अब उस फिल्म को देशभर मे 3000 स्क्रीन मिली है जिसमे से सिंगल स्क्रीन थियेटर(SINGLE SCREEN THETRE) 2000 और मल्टिप्लेक्स थियेटर(MULTIPLEX THETRE) 1000 है अब सिंगल और मल्टीप्लेक्स थियेटर मे से वितरक को सिंगल स्क्रीन थियेटर से ज्यादा मुनाफा होता है और उससे थोडा ज्यादा मुनाफा मल्टीप्लेक्स थियेटर से होता है ऐसा क्यु होता है इसके बारे मे हम आपको आगे बताएंगे अभी जान लेते है फिल्म बनाने की पुरी प्रक्रिया तो जैसे की फिल्म को स्क्रीन्स तो मिल गई तो अब उसे रिलीज कर दिया आपने तो अब आपकी फिल्म पैसे कैसे कमाती है जान लेते है मान लो 2000 सिंगल स्क्रीन थियेटर मे एक टिकट 100 रुपए की है और कुल मिलाकर उस थियेटर मे 150 सीट है और आपकी फिल्म उस थियेटर मे एक दिन मे 8 बार दिखाई जाती है और रिलीज के दिन सभी थियेटर की सभी सीट खरिद ली जाती है अथवा थियेटर हाउसफुल हो जाती है और मल्टीप्लेक्स थियेटर की 1000 स्क्रीन है और वहाँ टिकट 150 रुपए और सीट 150 है और पहले दिन थियेटर हाउसफुल होता है और दिन मे फिल्म को 8 बार दिखाया जाता है तो अब हिसाब करते है आपकी फिल्म ने पहले दिन कितनी कमाई की।

तो 2000 स्क्रीन X 150 सीट = 3,00,000 सीट
3,00,000 X 100 रुपए टिकट = 3,00,00,000 करोड सिंगल स्कीन से और अब इसे 8 बार गुना कर लेते है क्योकी दिन मे 8 बार फिल्म दिखाई गई है
3 करोड X 8 = 24 करोड एक दिन मे कमाई फिल्म ने सिंगल स्कीन थियेटर से अब मल्टिप्लेक्स थियेटर का भी हिसाब लगा लेते है।
तो 1000 स्क्रीन X 150 सीट = 1,50,000 सीट
1,50,000 सीट X 150 रुपए टिकट = 2,25,00,000 लाख यानी की दो करोड पच्चीस लाख रुपए अब इसे 8 बार गुना कर लेते है
2,25,00,000 X 8 = 18,00,00,000 करोड यानी की अट्ठारह करोड होते है अब इन दोनो को जमा कर देते है
24 करोड + 18 करोड = 42 करोड रुपए एक दिन मे आपकी फिल्म ने कमा लिए और

आपकी फिल्म ऐसे ही पुरे ह्फ्तेभर चलती है तो आपकी फिल्म एक हफ्ते मे 294 करोड तक कमाती है यानी की आपके बजट का 6 गुणा ज्यादा पैसा आप कमा लेते है
लेकिन ऐसा नही होता है
कई थियेटर मे फिल्म हाउसफुल नही हो पाती है कभी-कभी फिल्म दर्शको पसंद नही आती है ऐसे मे फिल्म कम कमाई करती है और जितना कमाई करती है उतना आपके पास नही पहुच पाता है तो अब आप सोच रहे होंगे की कैसे।

फिल्म कमाने के बाद किसको कितना पैसा मिलता है(HOW MUCH MONEY GOES TO PRODUCER AND DISTRIBUTOR)

जैसा की हमने बताया की फिल्म कमाई करने के बाद भी पुरा पैसा नही मिलता है तो वह कैसे जानते है जैसे की हमने आपको लेख की शुरुआत मे ही बताया था की थियेटर मालिको का हिस्सा भी होता है और वितरक का भी हिस्सा होता है तो ऐसे मे एक करारनामा होता है जिसमे वितरक और थियेटर मालिक का हिस्सा होता है और वह हिस्सा एस प्रकार होता है जैसे कोई थियेटर सिंगल स्क्रीन का होता है उसमे लगी फिल्म की कमाई का कुल 70%-90% तक हिस्सा वितरक का होता है और यह हर हफ्ते बदल जाता है जैसे की पहले हफ्ते मे 70%-90% तक होता है वैसे की दुसरे हफ्ते मे यह भी यह उतना ही होता है सिंगल स्क्रीन थियेटर मे वितरक का हिस्सा हर हफ्ते उतना ही होता है लेकिन कही-कही यह हिस्सा कम ज्यादा भी होता है और अब मल्टीप्लेक्स थियेटर के बारे मे यहाँ वितरक का हिस्सा हफ्ते दर हफ्ते बदलता ही है ऐसा क्यु होता है यह हम बोनस लेख मे बताएंगे जो काले अक्षरो मे होता है तो मल्टीप्लेक्स थियेटर मे वितरक और थियेटर मलिक का हिस्सा 50% तक दोनो का होता है और दुसरे हफ्ते यह और भी कम हो जाता है लगभग 42% तक हो जाता है, तीसरे हफ्ते यह और भी कम हो जाता है लगभग 35% और चौथे हफ्ते मे यह और भी कम हो जाता है लगभग 22%-25% तक उसके बाद फिल्म थियेटर मे से हटा दी जाती है। अब फिल्म मे से किसने कितना कमाया कमाई का कुल 30% तक सरकार को देना पड्ता है मनोरंजन कर का और उसके बचने के बाद वितरक और थियेटर मालिक का हिस्सा होता है जैसा की समझो फिल्म ने 100 करोड कमाई कर ली उसमे से 30% मनोरंजन कर 30 करोड अब बचे 70 करोड जिसमे से वितरक और थियेटर मालिक अपना हिस्सा लेते है करारपत्र के हिसाब से।

वितरक मल्टीप्लेक्स थियेटर से कम हिस्सा लेता है क्योंकी इसमे टिकट महंगी होती है और इन थियेटरो मे सुविधाए भी अच्छी होती है इसलिए यहाँ दर्शक आते है पैसे भी देते है जिसकी वजह से वितरक कम हिस्सा लेता है और कही-कही वितरक की मल्टीप्लेक्स थियेटर मलिको के द्वारा बात नही सुनी जाती क्योंकी थियेटर मलिको के पास अन्य विक्ल्प भी होते है यह भी कारण होता है और वही सिंगल स्क्रीन थियेटर मे एक ही स्क्रीन होती है तो थियेटर मालिको को नई- नई फिल्म ही लगानी पड्ती है इसलिए वहा थियेटर मलिक वितरक की शर्ते मान लेते है और यहा सुविधाए मल्टीप्लेक्स थियेटर के जैसी नई होने के कारण भी होता है। कई फिल्मो मे फिल्म के निर्माता ही वितरक का कार्य करते है तो फिल्म का पैसा सीधा फिल्म मालिको के पास जाता है और कही-कही फिल्म निर्माता किसी अन्य वितरक को फिल्म भी बेच सकते है ऐसे फिल्म कमाने का लाभ या हानि वितरक ही लेता है। आजकल फिल्म उद्योग मे निर्माता ही वितरक का कार्य करते है। इसके अलावा फिल्मे अपनी फिल्म किसी टीवी चैनल पर फिल्म दिखाने के भी पैसे लेते है और वह अपने फिल्म के संगीत के राईट्स बेचकर भी पैसे कमाते है।

सोमवार, 13 जनवरी 2020

WHAT IS SLR IN HINDI जानिए क्या होता है एसएलआर हिंदी मे



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SLR क्या है और यह किस तरह उपयोग मे आता है



SLR(एसएलआर) के बारे मे

एसएलआर इसका पुरा नाम स्टाटोरी लिक्विडिटी रेशो(STATORY LIQUIDITY RATIO) है और यह आरबीआई(RBI) द्वारा कमर्शिल बॅन्को(COMMERCIAL BANK) से लिया जाता है जिसके बदले मे आरबीआई कमर्शिल बॅन्को को इसपर ब्याज देती है और बॅन्को का कुछ प्रतिशत तक मुनाफा इससे भी होता है इसे नकद, सोना और आदि के रुप मे होता है जिसे आरबीआई(RBI) अपने पास रखती है। एसएलआर हर कमर्शिल बॅन्क को आरबीआई को देना ही पडता है यह नियम है और यदि कोई बॅन्क इसे देने मे असमर्थ होता है तो उसे पेनाल्टी(PENALTY) देना पडता है।

एसएलआर(SLR) आरबीआई द्वारा क्यु लिया जाता है

यह इसलिए लिया जाता है ताकी महंगाई को नियंत्रित किया जाता है। आरबीआई एसएलआर और सीआरआर के द्वारा महंगाई को नियंत्रित करता है जिसमे सीआरआर भी महत्वपुर्ण भूमिका निभाता है और एसएलआर इसमे प्रमुख भूमिका निभाता है। एसएलआर आरबीआई द्वारा इसलिए भी लिया जाता है ताकी बॅन्क अपने ग्राहको ज्यादा कर्ज देने से बचे ऐसा इसलिए की कई कर्ज समय सीमा के अंदर नही आने से बॅन्क को ज्यादा क्षति न हो और बॅन्क दिवालियापन की तरफ ना जाये। आरबीआई यह कैसे करता है इसके बारे मे नीचे बताया गया है।

आरबीआई एसएलआर के द्वारा कैसे महंगाई को नियंत्रित करता है

हम आपको यह उदाहरण द्वारा समझाएंगे जैसे की मान लो देश मे नकदी ज्यादा है तो आरबीआई सीआरआर और एसएलआर का अनुपात बढा देते है इससे बॅन्क अपने पास कम राशि रख पाता है जिससे वह अपने ग्राहको के कर्जे,लोन पर ब्याज बढा देता है जिससे ग्राहक कोई वस्तु अगर बॅन्क लोन से द्वारा लेना चाह्ता है तो नही लेता क्योकी इस समय ब्याजदर बढी हुई होती है जिससे देश और बाज़ार मे नकदी कम होती है और इससे नकदी नियत्रण मे आ जाती है ऐसा तब होता जब बाज़ार और देश मे नकदी होती है तब ऐसा किया जाता है लेकिन जब देश और बाज़ार मे महंगाई ज्यादा होती है तो ठिक इसका उल्टा किया जाता है जैसे की इसका अनुपात कम कर दिया जाता है जिससे बॅन्क ब्याजदर कम कर देता है और ग्राहक कम ब्याजदर(INTEREST RATE) को देखकर वस्तुए खरीदते है बाज़ार मे नकदी फैल जाती है जिससे महंगाई कम होती है।

एक और उदाहरण देते है जैसे की एक बॅन्क के पास 100 करोड की राशि है जिसमे से उसे 4% सीआरआर देना है(सीआरआर(CRR) पर कोई ब्याज नही मिलता है और न ही बॅन्क इसे आरबीआई से ले सकता है) और उसे एसएलआर 16% तक देना है तो 100 करोड का 4% यानी की 4 करोड होता है और 16% यानी की 16 करोड होता है तो कुल मिलाकर बॅन्क को 20 करोड देना है जिसमे से उसे 16 करोड पर आरबीआई कमर्शिल बॅन्क को ब्याज देगा यह लगभग 7%-9% तक हो सकता है चूंकी इसका अनुपात हर समय अलग-अलग होता है तो एक दम सही बताना मुश्किल है आप इसे ऑनलाईन जाकर देख सकते है।

WHAT IS CRR(CASH RESERVE RATIO) IN HINDI - जानिए नकदी आरक्षित अनुपात क्या है हिंदी मे

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CRR क्या है और यह किस तरह उपयोग मे आता है(WHAT IS CRR AND WHERE IT IS USE AND HOW)



सीआरआर के बारे मे (ABOUT CRR)

सीआरआर(CRR) का का पुरा नाम कॅश रिजर्व रेशो(CASH RESERVE RATIO) है। इसका उपयोग आरबीआई(RBI) के द्वारा कमर्शिल बॅन्को के लिए किया जाता है और इससे देश की महंगाई को नियत्रित करने के लिए उपयोग किया जाता है। सीआरआर(CRR) को प्रतिशत(PERCENTAGE) के हिसाब से लिया जाता है जैसे की 4 % तक , 8% तक होता है। आरबीआई(RBI) कमर्शिल बॅन्को(COMMERCIAL BANK) मे जमा रशि का कुछ हिस्सा अपने पास रखता है उसी जमा राशि को सीआरआर(CRR) कहते है यानी की CASH RESERVE RATIO(कॅश रिजर्व रेशो, नकदी आरक्षित अनुपात) कहाँ जाता है।

सीआरआर क्यू उपयोग किया जाता है(CRR USE)

सीआरआर(CRR) का उपयोग इसलिए किया जाता है ताकी बॅन्क द्वारा ग्राहको को ज्यादा कर्ज ना दिया जा सके और बॅन्क उन कर्ज को नियंत्रित कर सके जिससे महंगाई ज्यादा ना हो सके। इसके साथ एक और अनुपात(RATIO,रेशो) होता है जो बॅन्को पर लागु किया जाता है उसे एसएलआर(SLR) कहते है यह दोनो महंगाई को नियंत्रित करने के लिए बहुत आवश्यक होते है इसलिए सभी बॅन्को पर यह लागु किया जाता है।

सीआरआर(CRR) महंगाई पर असर कैसे डालता है

महंगाई को नियंत्रित करने के लिए दो रेशो या अनुपात का उपयोग किया जाता है वह सीआरआर(CRR) और एसएलआर(SLR) के द्वारा किया जाता है। किसी बॅन्क मे जमा राशि का कुछ हिस्सा आरबीआई(RBI) अपने पास रखता है जिसे सीआरआर(CRR) कहते है और इसके अलावा बॅन्क को एक और हिस्सा आरबीआई(RBI) मे जमा करवाना पडता है जिसे एसएलआर(SLR) कहते है अब कैसे आरबीआई(RBI) महंगाई कैसे कम करता है जानते है। उदाहरण के लिए अगर देश मे महंगाई है तो आरबीआई सीआरआर(CRR) और एसएलआर(SLR) का अनुपात कम कर देता है जिससे बॅन्को के पास ज्यादा पैसा बचता है जिससे बॅन्क कर्जो पर कम ब्याज(INTEREST) लेना शुरु कर देते है जिससे जनता कोई भी वस्तु जैसे घर(PROPERTY),उत्पाद(PRODUCT) आदि जिसमे कर्ज यानी की लोन लेने की सुविधा होती है ऐसी वस्तुए ज्यादा खरीदना शुरु कर देती है जिससे देश मे वस्तुए ज्यादा खरीदी जाएंगी जिससे देश मे नकदी का बहाव ज्यादा होगा उससे महंगाई कम होगी ठिक वैसे ही अगर देश मे ज्यादा ही नकदी होने लगे तो आरबीआई(RBI) इसका उलटा करता है जैसे की सीआरआर और एसएलआर का अनुपात बढाकर बॅन्को मे कम पैसा रखवाता है जिससे बॅन्क अपना मुनाफा निकालने के लिए ब्याज दर बढा देते है जिससे जनता वस्तुए कम खरीदती है और महंगाई थोडी बढा जाती है। तो ऐसे यह दोनो मिलकर देश की महंगाई को संतुलित करते है और इसकी एक और वजह है की बॅन्क ज्यादा कर्ज किसी को न दे और ताकी यदि कर्ज तय सीमा मे वसूल न किए जाने पर बॅन्क दिवालिया न हो इसलिए यह पद्धति अपनाई जाती है।

रविवार, 12 जनवरी 2020

HOW TO START A REAL ESTATE BUSINESS -रियल स्टेट का व्यापार कैसे शुरु करे जानिए हिंदी मे(IN HINDI)



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रियल स्टेट का व्यापार कैसे शुरु करे(HOW TO START A REAL ESTATE BUSINESS)



रियल स्टेट के बारे मे (क्या है और इसका अर्थ क्या है और प्रकार,ABOUT REAL STATE)

रियल स्टेट इसे सरल भाषा मे बताए तो किसी व्यक्ति को किसी जगह या स्थान का हवाई और भूमिगत अधिकार दिलाने मे सहायता करना अगर और भी सरल भाषा मे कहे तो किसी व्यक्ति की जगह को खरीदकर उसे घर,इमारत, फ्लॅट अथवा जगह की जगह किसी को बेचना और मुनाफा कमाना है। रियल स्टेट का देश के विकास मे भी महत्वपुर्ण योगदान होता है इसलिए इस क्षेत्र मे विकास होनेपर देश की जीडीपी पर भी दिखाई देता है ऐसा इसलिए की जब भी कोई जगह बनाई जाती है या इमारत निर्माण की जाती है और बेची जाती है और उस इमारत मे रहनेवाले लोग आने तक की प्रकिया मे बहुत सी वस्तुओ का उपयोग होता है जैसे की सिमेंट,बालू,मजदुर,पैसा हार्डवेअर की वस्तुए आदि बहुत कुछ जिससे देश पर प्रभाव पडता है। रियल स्टेट के कुल चार भाग है- 1) रेसिडेंशियल - यानी की जहाँ मनुष्यो के रहने लायक जगह जहाँ सबकुछ प्राप्त है। 2) कमर्शियल - यह वह जगह जहाँ इमारते हो और वहाँ मनुष्य क रहने और काम करने की भी सुविधा होती है। 3) इंडस्ट्रियल - ऐसा स्थान जहाँ बडी-बडी कंपनिया अपनी फक्टरी बना सके जहाँ मनुष्यो का आना-जाना कम होता है। 4) लॅन्ड-यानी की बिलकुल खाली स्थान जैसे की कोई जंगली क्षेत्र जिसे खरीदा जाता है। रियल स्टेट का व्यापार आरंभ करना इतना कठिन कार्य नही है, लेकिन अगर इसमे आने की सोच रहे है तो आपके पास अच्छी बोली और स्वभाव और अपने व्यापार को आगे बढाने की नई-नई रणनीति होनी चाहिए ताकी लोगो मे आपके प्रति विश्वास बना रहे क्योंकी इस व्यापार मे विश्वास होना एक-दुसरे पर बहुत महत्वपुर्ण है खासकर ग्राह्को मे तो आगे जानते है इस व्यापार के लिए क्या-क्या करना है।

1) अपने आप को इस क्षेत्र के लिए तैयार करे।

अपने आप को तैयार करना शारीरिक और मानसिक रुप से यह किसी भी व्यापार करने के लिए बहुत अहम होता है और आपको इस क्षेत्र मे ग्राहको को विश्वास दिलाना होता है और उस खरा भी उतरना होता है तो इसके लिए आपको-अपना व्यक्तित्व बहुत अच्छा बनाना होगा। इस क्षेत्र मे बहुत से लोग अपने रिश्तेदारो से पुछना और उनपर विश्वास करना बहुत सुरक्षित महसुस करते है तो यदि कोई ग्राहक आपके पास आता है तो उसका विश्वास बनाए रखे और उन्हे ठगने का प्रयास न करे।

2) अपना अलग से दफ्तर का निर्माण करवाए

ऐसा इसलिए की इस व्यापार से जुडे लोगो होनेपर बहुत-सी गतिविधिया होती है जिसके लिए एक ऑफिस बनवाना चाहिए। अगर आपके पास इतनी राशि नही है तो आप अपने घर से भी शुरुआत कर सकते है और अपना व्यापार बढनेपर दफ्तर बनवा सकते है।

3) रियल स्टेट एजेंट का लाइसेंस बनवाए

यह पहले जरुरी नही था लेकिन रेरा के मुताबिक अब यह जरुरी है और इसका लाइसेंस आप ऑनलाईन भी प्राप्त कर सकते है इसके लाइसेंस के लिए आप रेरा की ऑफिशियल वेबसाइट पर जाकर और जान सकते है लेकिन इस लाइसेंस को लेने के लिए आपको पढाई करनी पडेगी और उसका सर्टिफिकेट लेना जरुरी है। आप अलग-अलग पद के लिए भी लाइसेंस के लिए आवेदन कर सकते है। रियल स्टेट के लाइसेंस की समयसीमा 5 वर्ष की होती है उसके बाद इसे हर पांच साल मे रिन्यु करवाना पडता है। आप रियल्टर लाइसेंस के बारे मे भी जानिए।

4) रियल स्टेट एजेंट के लिए कोर्स

रियल स्टेट एजेंट के लिए आपको कोर्स करने पडते है ताकी आप लाइसेंस प्राप्त कर सके और इसके लिए हर विश्व विद्यालय मे इसकी शिक्षा दी जाती है हम आपको कुछ नाम भी बता देते है जैसे की एमबीए इन कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट मॅनेजमेंट, रियल स्टेट मॅनेजमेंट, कंस्ट्रक्शन मॅनेजमेंट, कंस्ट्रक्शन अंड फिनांस मॅनेजमेंट, पोस्ट ग्रजुऐट प्रोग्राम इन रियल स्टेट और भी कोर्स है आप नजदीकी महाविद्यालय या विश्व विद्यालय मे जाकर और भी जान सकते है ऐसा इसलिए की इस क्षेत्र मे आप को किस पद पर काम करना है उसके हिसाब से आप कोर्स कर सकते है और अगर आप सिर्फ रियल स्टेट एजेंट बनना चाहते है तो आप दिए गए कोर्स मे से कोई भी कर सकते है।

आप के पास यह सभी है तो या आप यह सभी पा लेते है तो आप इसका व्यापार शुरु कर सकते है और ग्राहक बना सकते है और आप अपना कारोबार बढा सकते है कानूनी तौरपर ।

रविवार, 5 जनवरी 2020

EBOLA VIRUS DISEASE के बारे मे जानिए हिंदी मे(IN HINDI)



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जानिए इबोला संक्रमण के बारे मे विस्तार से हिदी मे(EBOLA VIRUS IN HINDI)



इबोला के बारे मे(ABOUT EBOLA)

इबोला यह वायरस(VIRUS,संक्रमण) सबसे पहले 1976 मे इसके लक्षण पाए गए गए थे और इसके कारण पहले बच्चे की मृत्यु 2013 मे हुई। यह लक्षण इबोला नदी के पास ही मे बसे एक गांव से पाया गाया था और इसका नाम इबोला नदी के नाम पर रखा गया था। यह चमगादड की फ्रुट बैट नामक प्रजाति के खुन या उसके तरल पदार्थ से होता है जो की उसके शरीर के अंदर होता है और यह जिसे हो जाता है या जो इसका मरीज होता है उसे छुने या उस मरीज के संपर्क मे आने से फैलता है। इबोला वायरस का अब तक कोई इलाज या उपचार नही है जबकी इसे बारे मे शोधकर्ताओ को सालो से पता होने के बावजूद तो आप इसी बात से अंदाजा लगा सकते है की यह कितनी गंभीर समस्या है इसलिए इबोला को सबसे खतरनाक संक्रमण कहते है अथवा यदि आप इसके संपर्क मे आ गए तो आपकी मृत्यु निश्चित होगी। इबोला को ईवीडी(EVD) यानी की इबोला वाइरस डिसिज(EBOLA VIRUS DISEASE) है।

इबोला कैसे होता है और फैलता है (HOW EBOLA HAVE TO HUMAN)

यह मरिज के पसीने
मरिज के खुन से
श्वास से
शारीरीक संबंधो द्वारा
मरिज के शव के संपर्क से
सुई यानी की इंजेक्शन द्वारा
और सबसे महत्वपुर्ण यह है की आप इसके मरिज को छुए नही बहुत ही सावधानी बरते।

इबोला के लक्षण और प्रभाव (EBOLA SYMNTOMS)

इबोला के लक्षण दो प्रकार से है एक तो जब यह शरीर मे पनपता है और दुसरा यह की जब यह पुरी तरह शरीर मे फैल जाता है पहला यह की जब यह पनपता है तो क्या- क्या होता है|

टाईफाइड, बुखार, उल्टी होना
दस्त लगना
आंखे लाल होना
गले मे कफ
मांसपेशियो मे दर्द होना
बाल झडना
रक्तस्त्राव

और अब दुसरा जब यह पुरे शरीर मे फैल जाता है यह परिस्थिति बहुत भयावह होती है।

त्वचा गलने लगती है
नसो का खुन नसो से बाहर निकलकर मांसपेशियो मे चला जाता है और शरिर का अंदरुनी स्त्रावण आरंभ हो जाता है
गुरदा और जिगर का कार्य बहुत धीमा हो जाता है
शरिर गलने लगता है
शरीर जेली जैसा हो जाता है
खुन की उल्टी
खुन के दस्त लगने लगते है

इबोला का उपाय और बचने के तरीके (EBOLA TREATMENT OR SOLUTION)

इबोला का उपचार नही किया जा सकता है और न ही इसकी कोई दवा है इसके मरीजो को बहुत ही सावधानी से रखा जाता है और संभल कर रखा जाता है और सुरक्षित तरीके से उपचार करने की कोशिश की जाती है ताकी यह संक्रमण न फैले क्योंकी यह वायरस बहुत ही घातक है जिसने अब तक हज़ारो लोगो की जान ली है लेकिन इसमे अलग-अलग प्रजाति पाई जाति है जिनमे ज्यादातर शरीर खुद इसे ठिक कर लेता है या डॉक्टर्स से दवा लेने से यह ठिक हो जाता है और वह प्रजाति मनुष्यो मे न के बराबर देखी गई है तो उससे उतना खतरा नही है वह फैलती नही है इसलिए हमने आपको सिर्फ इबोला के बारे मे बताया है। इसका कोई उपचार नही होने के कारण इसके मरीज का मृत्यु के अलावा कोई और दुसरा विकल्प नही है इसके बारे मे चिकित्स्क खोज कर रहे है। इसके मरीजो से दुर रहना ही एक उपाय है बचे रहने का।

THYROID KE BAARE ME JAANE JAISE KI LAKSHAN,KARAN AUR UPCHAAR हिंदी मे(IN HINDI)



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थायराइड के कारण, लक्षण, इलाज (THYROID CAUSES,SYMPTOMS, AND TREATMENT )



थायराइड के बारे मे(ABOUT THYROID)

विश्वभर में थायराइड तेजी से अपने पांव पसार रहा है। अकेले भारत में लगभग पांच करोड़ से ज्यादा लोग थायराइड के शिकार हैं , जो बहुत घातक है । आज हम आपको थायराइड के बारे सारी जानकारी देनेवाले है जैसे की थायराइड क्या होता है, कैसे होता है, थायराइड ग्रंथि के बारे मे जैसे की कहाँ होती है और सबसे महत्वपुर्ण यह बीमारी कितने प्रकार की होती है। यह पुरी तरह से ठिक नही हो सकता और जिसे यह होता है उसे खाने-पीने पर बहुत ध्यान देना चाहिए अथवा हमेशा डॉक्टर्स से मिलते रहे और उनकी सलाह पर ही चले और उपचार कराते रहे ताकी यह खतरनाक स्तर पर नही पहुंचे। तो चलिए जानते है थायराइड के बारे मे विस्तार से :-

थायराइड क्या है?(WHAT IS THYROID)

थायराइड हमारे गले में आगे की तरफ पाए जाने वाली एक ग्रंथि होती है और यह दिखने मे तितली के आकार के जैसी होती है अथवा यह ग्रंथि शरीर की कई जरूरी कार्यो को नियंत्रित करती है जैसे की भोजन को ऊर्जा में बदलना और साथ ही यह ग्रंथि ट्राईआयोडोथायरोनिन और थायरॉक्सिन हार्मोंन का निर्माण करती है और जब यह हार्मोंस असंतुलित हो जाते हैं, तो वजन कम या ज्यादा होने लगता है, इसे ही थायराइड की समस्या कहते हैं और यह हड्डियों, कोलेस्ट्रोल मांसपेशियों व को भी नियंत्रित करती हैं और यह हार्मोंस का प्रभाव हमारी सांस, ह्रदय गति, पाचन तंत्र और शरीर के तापमान पर पड़ता है इसके अलावा पिट्यूरी ग्रंथि यह मस्तिष्क मे होती है और इसमे से थायराइड स्टिमुलेटिंग हार्मोन (टीएसएच) नामक हार्मोन निकलता है जो ट्राईआयोडोथायरोनिन और थायरॉक्सिन के प्रवाह को संतुलित रखती है जो की शरीर के लिए बहुत आवश्यक है।

थायराइड के लक्षण कैसे पाए जाते है(SYMPTOMS OF THYROID)

पसीना कम आना
थकावट होना
वजन बढना
रक्तचाप का प्रवाह उच्च होना
याददाश्त का कमजोर होना
मांसपेशियो मे दर्द होना
चेहरे पर सुजन आना
तनाव आना
प्रजनन क्षमता का असंतुलित होना
जोडो-जोडो मे सुजन अथवा दर्द का महसुस होना
महिलाओ मे मासिकधर्म का असामान्य होना
त्वचा मे रुखापन आना


इसके अलावा थायराइड किन कारणो से हो सकता है उसके बारे मे भी हम आपको बतानेवाले है और यह भी बतानेवाले है की इसके कितने प्रकार है और उनका क्या इलाज है यह भी बताएंगे।

थायराइड के कारण अर्थात यह ज्यादातर किन कारणो से होता है(WHAT CAUSES THYROID)

महिलाओ मे यह लक्षण और कारण ज्यादातर दिखाई देते है और यदि यह लक्षण आपको भी दिखाई दे तो तुरंत डॉक्टर से मिले और सलाह ले क्योंकी बाद मे इसका खतरा बाद मे बढ जाता है और अब इसके कारणो को जान लेते है।

अगर आपको पहले कभी थाइराइड हुआ हो तो भी यह आपको दोबारा हो सकता है ।
यदि 30 साल से ज्यादा उम्र होने पर भी इसके होने के आसार होते है।
आपका बढ़ता वजन या मोटापा इसका कारण हो सकता है या बन सकता है।
गर्भपात, समय से पहले पूर्व जन्म या बांझपन के कारण भी हो सकता है।
ऑटोइम्यून थायराइड रोग या थायरायड रोग आपके परिवार मे किसी को हो तो भी हो सकता है।
टाइप 2 डायबिटीज के कारण भी होता है।

थायराइड के कितने प्रकार है(TYPES OF THYROID)

थायराइड के छह प्रकार है।

थायराइड कैंसर (THYROID CANCERS)- ऐसी स्थिति जहाँ थायराइड अपनी उच्चतम स्तर पर हो यहाँ मरिज को इसके लिए सर्जरी करवानी पडती है।
हाइपोथायरॉइडज्म (HYPOTHYROIDISM)– यह तब होता है जब थायराइड ग्रंथि हर्मोंस कम मात्रा मे निर्माण करती है।
हाइपरथायरॉइडज्म (HYPOTHYROIDISM)– यह तब होता है जब थायराइड ग्रंथि हर्मोंस ज्यादा मात्रा मे निर्माण करती है।
गॉइटर (GOITER) – भोजन में आयोडीन कम होने पर ऐसा होता है, जिससे गले में सूजन अथवा गांठ जैसी नजर आती है।
थायराइडिटिस (THYRODITIES)– थायराइड ग्रंथि में सूजन आना यह थायराइडिटिस होने का संकेत होता है।
थायराइड नोड्यूल (THYROID NODULES)– थायराइड नोड्यूल तब होता है जब थायराइड ग्रंथि में गांठ बनना शुरु हो जाता है।

थायराइड कैंसर (THYROID CANCER)

थाइराइड कैंसर मे सर्जरी करवाना बहुत जरुरी है इसमे थायराइड ग्रंथि को निकाला भी जा सकता है। यह थाइराइड मे गंभीर मामलो मे से एक है तो आपको जल्द से जल्द आपको डॉक्टर से मिलकर उपचार करवाना चहिए इसके अलावा, डॉक्टर सर्जरी के बाद रेडियोआयोडीन थेरेपी का भी उपयोग करते है या कर सकते है मरीज और कैंसर हिसाब से किया जाता है।

हाइपोथायरॉइडज्म (HYPOTHYROIDISM)

जैसे की बताया गया है की इसमे हार्मोंस कम निर्माण होते है जिससे डॉक्टर्स आपको हार्मोंस की दवाई देते है जिससे हार्मोंस का संतुलन बना रहता है और यह दवाई आपको जीवनभर लेना पड सकता है।

हाइपरथायरॉइडज्म (HYPOTHYROIDISM)

हाइपरथायरॉइडज्म मे डॉक्टर्स मरीज को एंटीथायराइड दवा दे सकते हैं, यह थायराइड ग्रंथि नए हार्मोन का निर्माण करना रोक देती है अथवा डॉक्टर्स बीटा-ब्लॉकर दवा भी देते है इससे अधिक निकलनेवाले हार्मोन का शरीर पर असर नही होता और कई मरीज इसके लिए रेडियोआयोडीन थेरॅपी भी करवाते है जिससे हार्मोन निर्माण करनेवाली कोशिकाओ को नष्ट किया जाता है यदि मरिज को ज्यादा ही परेशानी होती हो जैसे की सांस लेने मे कुछ खाने मे तो सर्जरी करते है।

गॉइटर (GOITER)

जैसे की गले मे सुजन आना और गांठ जैसी नजर आना यह गॉइटर के लक्षण है यदि यह ठिक तरह से काम करती है तो यह कुछ दिनो या हफ्तो मे यह ठिक हो जाता है और नही तो इसके लिए दवा है जो की इसे सिकुड के सामान्य हो जाती है।

थायराइडिटिस (THYRODITIES)

इसमे डॉक्टर आपको दवा देते है जिसे प्रेडनिसोलोन(PREDNISOLONE) कहते है इस दवा से यह कुछ हद तक कम हो सकता है अन्यथा सर्जरी ही उपाय होता है।

थायराइड नोड्यूल (THYROID NODULES)

इसमे मरीज की नियमित रूप से जांच की जाती है और ब्लड टेस्ट अथवा थायराइड अल्ट्रासाउंड टेस्ट किया जाता हैं और दवाईया दी जाती है अगर फिर भी बदलाव नही आता है और यह गांठ का रुप ले तो इसकी सर्जरी ही करवानी पडती है।

थाइराइड यह बहूत ही गंभीर समस्या है यदी आपको बताए अनुसार इसमे से कुछ भी महसुस हो तो तुरंत डॉक्टर्स से मिलना ही बहुत उचित होगा वह आपको बेहतर विकल्प बता सकते है और उपचार भी कर सकते है और समस्या बढने के पहले ही टाला जा सकता है।



गुरुवार, 2 जनवरी 2020

चुनाव कैसे लडे और क्या है चुनावी प्रक्रिया जानिए हिंदी मे(IN HINDI)



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चुनाव के(ELECTION) बारे मे पुरी जानकारी विस्तार से



चुनाव अथवा चुनावी प्रक्रिया(ELECTION PROCESS)

सबसे पहले चुनाव अलग-अलग स्तर पर होते है जैसे की लोकसभा, विधानसभा,ग्राम सभा या स्थानीय निकायो मे मुखिया पद और वार्ड पार्षद, नगर परिषद/निगम जिसमे लोकसभा के लिए 545, विधानसभा के लिए 245 और राज्य मे विधायक और ग्राम सभा के कुल मिलाकर 4000+ से भी ज्यादा पद या स्थान होते है और आप यानी की एक आम आदमी इन सभी पदो पर चुनाव लड सकता है। नियमानुसार स्तर पर चुनाव लड्ने का तरीका अलग-अलग होता है इसलिए आपको इन सभी के बारे मे जानना होगा।

चुनाव कैसे लडे और कितने लोग एक साथ इसमे हिस्सा ले सकते है (HOW TO CONSTENT ELECTION AND HOW MANY PEOPLE IN ONE TIME CONSTENT)

लोकसभा का चुनाव लडने के लिए

लोकसभा चुनाव लडने के लिए प्रतियोगी का 25 वर्ष का होना आवश्यक है उसे भारत की नागरिकता प्राप्त हो। वह देश मे किसी भी राज्य की वोटर लिस्ट मे उसका नाम होना चाहिए, आरक्षित सीट के लिए किसी भी राज्य की मान्य जाति का प्रतियोगी होना आवश्यक है और प्रतियोगी का मानसिक संतुलन ठिक न होने यानी की पागल, विक्षिप्त या कोर्ट से चुनाव लडने पर बैन नही होना चाहिए।

विधानसभा का चुनाव लडने के लिए

इसके लिए भी प्रतियोगी की उम्र 25 साल की होनी चाहिए , भारत का नागरिक हो और जिस राज्य से चूनाव लड रहे है वहाँ की वोटर लिस्ट मे नाम होना आवश्यक है। आरक्षित सीट के लिए उस राज्य की मान्य जाति का प्रतियोगी हो। प्रतियोगी का मानसिक संतुलन ठिक न होने यानी की पागल, विक्षिप्त या कोर्ट से चुनाव लडने पर बैन नही होना चाहिए।

म्युनिसिपल कॉरपोरेशन(MUNICIPAL CORPORATION) का चुनाव लडने के लिए

इसमे चुनाव लडने के लिए उम्र सिर्फ 21 वर्ष की होनी चाहिए और किसी राज्य के नियम अनुसार जिसके तीन या उससे ज्यादा बच्चे है वह चुनाव नही लड सकते यह नियम सिर्फ कुछ राज्यो मे ही है इसके अलावा उस क्षेत्र मे प्रतियोगी की वोटर लिस्ट मे उसका नाम होना आवश्यक है।

चुनाव के लिए नामांकन(नोमिनेशन,NOMINATION) कैसे करे

चुनाव आयोग चूनाव की तारीखे तय करता है और कब और किस समय चूनाव करवाना है यह तय करता है और चुनाव मे नामांकन करने के लिए 7 दिन क समय होता है और यदी इसके बाद आप अपना नाम वापस लेना चाहते है तो उसके लिए दो दिन का समय होता है। लोकसभा और विधानसभा चुनाव के लिए यदि आप प्रस्ताव करते है या आप एक निर्दलीय उम्मीदवार है तो आपके पास 10 प्रस्तावक होना आवश्यक है। चुनाव आयोग के विवेकानुसार चुनाव 14 दिनो मे खत्म की जा सकती है और वोटिंग से 48 घंटे पहले सारे प्रचार-प्रसार बंद होना चाहिए। चुनाव लडने के लिए किसी भी कागजात की आवश्यकता नही होती है नामांकन पत्र/फॉर्म के साथ, इसके लिए सिर्फ आपका नाम वोटर लिस्ट मे होना आवश्यक है। नामांकन पत्र मे आपकी चल और अचल संपत्ति का डिक्लेरेशन/बताना आवश्यक है और प्रतियोगी दो-तीन सेटो मे अपना नामांकन भर सकते है क्योंकी अगर एक सेट गलत हो गया और दुसरा सही है तो नामांकन रद्द नही होगा।

जमानत राशि कितना देना पडता है

अगर आप लोकसभा का चुनाव लड रहे है तो आपको 25,000 हजार जमानत राशि देना है, विधानसभा चुनाव मे 10,000 की जमानत राशि देना पडता है और म्युनिसिपल कॉरेपोरेशन के लिए सिर्फ 500-1000 तक ही देना पडता है यदी आप एक आरक्षित वर्ग से है तो आपके लिए यह सभी रकम आधी हो जाती है। चुनाव मे खर्च सीमा भी चुनाव आयोग ही तय करता है जो कि लोकसभा के लिए 70 लाख है, विधानसभा के लिए 40 लाख है और म्युनिसिपल कॉरपोरेशन के लिए 10,000 से 4 लाख तक है। चुनाव मे हिस्सा कोई भी ले सकता है यह जन्मजात नही है जैसे की राजा का बेटा ही राजा बनेगा। यदी आपको किसी पार्टी का टिकट चाहिए तो आपको आपके क्षेत्र मे नाम कमाना होगा और हमेशा जनता से जुडाव मे रहना चाहिए अगर आप पार्टी का टिकटप्राप्त करने मे सफल हो जाते है है तो पार्टी आपको चुनाव के लिए फंड अथवा राशि भी देती है। चुनाव के लिए आपको कम-से-कम एक साल या छह महिने पहले से ही तैयारी कर लेनी चाहिए और आपको नामांकन पत्र मे दिए गए प्रश्नो के उत्तर देने के लिए तैयार होना चाहिए जैसे की चुनाव क्षेत्र कहाँ बनाएंगे और इसके लिए फंड कहाँ से जुटाएंगे इसके अलावा भरोसेमंद लोगो की टिम कैसे बनाएंगे और स्थानीय सम्स्याओ पर जनमत कैसे प्राप्त करेंगे इन सभी प्रश्नो के उत्तर देने के लिए आपको सक्षम होना चाहिए।

एक नेता मे क्या गुण होने चाहिए

एक अच्छे नेता को निडर,विनम्र और अपना धीरज नही खोना चाहिए और मृदुभाषा का उपयोग करना चाहिए उसे अच्छी शिक्षा और भाषन देने की कला मे निपुण होना चाहिए और यदि उसे चुनाव जीतना है तो उसे अपनी रणनीति बेहतर करनी चाहिए जनता के बीच विश्वसनीयता बनाए रखना चाहिए और उनकी उम्मीदो पर खरा उतरना चाहिए। अपना दल बनाए और वह अच्छा और विश्वसनीयता दल होना चाहिए, लोगो मे अपनी पार्टी के बारे मे विश्वास दिलाए, प्रचार-प्रसार करना चाहिए चुनाव चिन्ह और नाम अच्छा रखे। आपके नारे मिलते-जुलते और आकर्षक हो और नए-नए तरिके अपनाना चाहिए।


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