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जानिए कागज कैसे बनता है HOW TO MAKE PAPER (IN HINDI) जानिए हिन्दी में
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दोस्तो आज ह्म बहुत ही रोचक विषय के बारे मे जानेंगे यह विषय इतिहास से जुडा हुआ है तो चलिये जानते है :-
मित्रो आज हम कगज के बारे मे जानेंगे। कागज का उपयोग लिखने तथा छपाई के लिए किया जाता है और इसका मानव सभ्यता के विकास मे बहुत बडा योगदान है।
इतिहासकारो का मानना है की पह्ला कागज कपडो के चिथडो से चीन मे बनाया गया।
कागज पौधो, पेडो से बनाया जाता है। पौधो मे सेल्युलोज़ नामक एक कार्बोहाइड्रेट पाया जाता है जो पौधो के पंजर का मुख्य पदार्थ होता है। गीले तंतुओ को दबाकर और सुखाकर कागज का निर्माण किया जाता है इन तंतुओ को सेल्युलोज कि लुगदि कहा जाता है।
सेल्युलोज के रेशो को परस्पर एक समान जुटकर चद्दर के रुप मे बनाया जाता है इस प्रकार चद्दर के रुप तैयार होने का गुण केवल सेल्युलोज के रेशो मे होता है। जिस पौधे मे सेल्युलोज अच्छी मात्रा मे पाया जाता है उसका उपयोग कागज बनाने मे किया जाता है।
पौधो मे सेल्युलोज के अलावा कई और पदार्थ मिले हुए रह्ते है जैसे की लिग्निन,पेक्टिन,खनिज लवण और वसा तथा रंग पदार्थ सुक्ष्म मात्रा मे होते है अत: जब तक इन्हे निकालकर पर्याप्त मात्रा मे सेल्युलोज नही मिल जाता इन पदार्थो को निकालने की प्रक्रिया चालु रह्ती है। इनमे से लिग्निन का निकालना बहुत आवश्यक है क्योंकि इससे सेल्युलोज के रेशे प्राप्त करना कठिन होता है शुरुआत मे जब शुद्ध सेल्युलोज निकालने की कोई अच्छी विधि नही थी तब तक कागज सुती कपडो से बनाया जाता था इनसे कागज बनाना बहुत सरल और उच्च कोटी का प्राप्त होता था।
जितना अधिक शुद्ध सेल्युलोज होता कागज उतना स्वच्छ और सुंदर बनता है। रुई भी शुद्ध सेल्युलोज ही है लेकिन यह कपडा बनाने के उपयोग मे आती है क्योंकि यह मंहगी होती है और इसमे परस्पर जुटने का गुण नही होता है।
कागज की रद्दी और कपडे के चिथडो मे भी सेल्युलोज ज्यादा मात्रा मे पाया जाता है इनसे भी कागज निर्माण किया जाता है।
आज कल मुख्य रुप से कागज बनाने मे चिथडे, कागज की रद्दी, और बांस तथा स्प्रुस,चीड,घांसे जैसे सबई,एस्पार्टो का उपयोग किया जाता है। भारत मे बांस और सबई घांस का उपयोग ज्यादा किया जाता है।
कागज का अधिक उपयोग होना यह पर्यावरण के लिए बहुत ही गंभीर विषय है इसका उपयोग ज्यादा होने के कारण पर्यावरण पर बहुत बुरा प्रभाव पडा है।
विश्व मे जितने भी पेड काटे जाते है उनमे से 35% कटे हुए पेडो का उपयोग कागज बनाने मे किए जाते है।
भारत मे 2017-2018 की गणना के अनुसार 2017-2018 मे कुल 2.3 करोड टन कागज का उपयोग हुआ गणना के अनुसार 2019-2020 मे बढकर 2.5 करोड हो सकती है।
कागज को सफेद के उपाय बहुत ही नुकसानदायक है जिससे पर्यावरण मे क्लोरिन और क्लोरिनेटेड डाईऑक्सिन छोडते है जो पर्यावरण के लिए बहुत खतरनाक है यह एक प्रकार का प्रधुशक है जिसके प्रयोग पर अंतर्राष्ट्रिय नियंत्रण है।
यह गैस बहुत ही हानिकारक है इसका मानव जीवन पर खतरनाक प्रभाव है जैसे प्रजनन,विकास पर और बिमारी से प्रतिरक्षा, हर्मोन सम्बंधी सम्स्याए शामिल है। मानवो मे 80-90% डाईऑक्सिन भोजन द्वारा आता है यह कारखानो द्वारा पर्यावरण मे छोडा जाता है और यह जानवरो द्वारा मानवो तक पहुच जाता है यह( डाईऑक्सिन) पशुओ की चर्बि मे जमा हो जाते है अर्थात यह पशुओ के दुध,मांस और मछली द्वारा मनुष्य तक आता है जिससे गंभिर बिमारी का निर्माण होता है।
इसलिए कागज का उपयोग संभाल कर करना चाहिए और कम करना चाहिए ताकि पर्यावरण को कम हानि होने से बचा सके।
Bhut Hi Badia Post h Sir
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