सोमवार, 13 जनवरी 2020

WHAT IS CRR(CASH RESERVE RATIO) IN HINDI - जानिए नकदी आरक्षित अनुपात क्या है हिंदी मे

WHAT IS CRR(CASH RESERVE RATIO) IN HINDI - जानिए नकदी आरक्षित अनुपात क्या है हिंदी मे


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CRR क्या है और यह किस तरह उपयोग मे आता है(WHAT IS CRR AND WHERE IT IS USE AND HOW)



सीआरआर के बारे मे (ABOUT CRR)

सीआरआर(CRR) का का पुरा नाम कॅश रिजर्व रेशो(CASH RESERVE RATIO) है। इसका उपयोग आरबीआई(RBI) के द्वारा कमर्शिल बॅन्को के लिए किया जाता है और इससे देश की महंगाई को नियत्रित करने के लिए उपयोग किया जाता है। सीआरआर(CRR) को प्रतिशत(PERCENTAGE) के हिसाब से लिया जाता है जैसे की 4 % तक , 8% तक होता है। आरबीआई(RBI) कमर्शिल बॅन्को(COMMERCIAL BANK) मे जमा रशि का कुछ हिस्सा अपने पास रखता है उसी जमा राशि को सीआरआर(CRR) कहते है यानी की CASH RESERVE RATIO(कॅश रिजर्व रेशो, नकदी आरक्षित अनुपात) कहाँ जाता है।

सीआरआर क्यू उपयोग किया जाता है(CRR USE)

सीआरआर(CRR) का उपयोग इसलिए किया जाता है ताकी बॅन्क द्वारा ग्राहको को ज्यादा कर्ज ना दिया जा सके और बॅन्क उन कर्ज को नियंत्रित कर सके जिससे महंगाई ज्यादा ना हो सके। इसके साथ एक और अनुपात(RATIO,रेशो) होता है जो बॅन्को पर लागु किया जाता है उसे एसएलआर(SLR) कहते है यह दोनो महंगाई को नियंत्रित करने के लिए बहुत आवश्यक होते है इसलिए सभी बॅन्को पर यह लागु किया जाता है।

सीआरआर(CRR) महंगाई पर असर कैसे डालता है

महंगाई को नियंत्रित करने के लिए दो रेशो या अनुपात का उपयोग किया जाता है वह सीआरआर(CRR) और एसएलआर(SLR) के द्वारा किया जाता है। किसी बॅन्क मे जमा राशि का कुछ हिस्सा आरबीआई(RBI) अपने पास रखता है जिसे सीआरआर(CRR) कहते है और इसके अलावा बॅन्क को एक और हिस्सा आरबीआई(RBI) मे जमा करवाना पडता है जिसे एसएलआर(SLR) कहते है अब कैसे आरबीआई(RBI) महंगाई कैसे कम करता है जानते है। उदाहरण के लिए अगर देश मे महंगाई है तो आरबीआई सीआरआर(CRR) और एसएलआर(SLR) का अनुपात कम कर देता है जिससे बॅन्को के पास ज्यादा पैसा बचता है जिससे बॅन्क कर्जो पर कम ब्याज(INTEREST) लेना शुरु कर देते है जिससे जनता कोई भी वस्तु जैसे घर(PROPERTY),उत्पाद(PRODUCT) आदि जिसमे कर्ज यानी की लोन लेने की सुविधा होती है ऐसी वस्तुए ज्यादा खरीदना शुरु कर देती है जिससे देश मे वस्तुए ज्यादा खरीदी जाएंगी जिससे देश मे नकदी का बहाव ज्यादा होगा उससे महंगाई कम होगी ठिक वैसे ही अगर देश मे ज्यादा ही नकदी होने लगे तो आरबीआई(RBI) इसका उलटा करता है जैसे की सीआरआर और एसएलआर का अनुपात बढाकर बॅन्को मे कम पैसा रखवाता है जिससे बॅन्क अपना मुनाफा निकालने के लिए ब्याज दर बढा देते है जिससे जनता वस्तुए कम खरीदती है और महंगाई थोडी बढा जाती है। तो ऐसे यह दोनो मिलकर देश की महंगाई को संतुलित करते है और इसकी एक और वजह है की बॅन्क ज्यादा कर्ज किसी को न दे और ताकी यदि कर्ज तय सीमा मे वसूल न किए जाने पर बॅन्क दिवालिया न हो इसलिए यह पद्धति अपनाई जाती है।

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