अगर आप इस पोस्ट या वेबसाइट से जुडे अपडेट देखना चाहते है या इस वेबसाइट के नए पोस्ट देखना चाहते है
तो आप नीचे दिए गए वेबसाइट के बटन पर क्लिक करे
जानिए इबोला संक्रमण के बारे मे विस्तार से हिदी मे(EBOLA VIRUS IN HINDI)
इबोला के बारे मे(ABOUT EBOLA)
इबोला यह वायरस(VIRUS,संक्रमण) सबसे पहले 1976 मे इसके लक्षण पाए गए गए थे और इसके कारण पहले बच्चे की मृत्यु 2013 मे हुई। यह लक्षण इबोला नदी के पास ही मे बसे एक गांव से पाया गाया था और इसका नाम इबोला नदी के नाम पर रखा गया था। यह चमगादड की फ्रुट बैट नामक प्रजाति के खुन या
उसके तरल पदार्थ से होता है जो की उसके शरीर के अंदर होता है और यह जिसे हो जाता है या जो इसका मरीज होता है उसे छुने या उस मरीज के संपर्क मे आने से फैलता है। इबोला वायरस का अब तक कोई इलाज या उपचार नही है जबकी इसे बारे मे
शोधकर्ताओ को सालो से पता होने के बावजूद तो आप इसी बात से अंदाजा लगा सकते है की यह कितनी गंभीर समस्या है इसलिए इबोला को सबसे खतरनाक संक्रमण कहते है अथवा यदि आप इसके संपर्क मे आ गए तो आपकी मृत्यु निश्चित होगी। इबोला को ईवीडी(EVD) यानी की इबोला वाइरस डिसिज(EBOLA VIRUS DISEASE) है।
इबोला कैसे होता है और फैलता है (HOW EBOLA HAVE TO HUMAN)
यह मरिज के पसीने
मरिज के खुन से
श्वास से
शारीरीक संबंधो द्वारा
मरिज के शव के संपर्क से
सुई यानी की इंजेक्शन द्वारा
और सबसे महत्वपुर्ण यह है की आप इसके मरिज को छुए नही बहुत ही सावधानी बरते।
इबोला के लक्षण और प्रभाव (EBOLA SYMNTOMS)
इबोला के लक्षण दो प्रकार से है एक तो जब यह शरीर मे पनपता है और दुसरा यह की जब यह पुरी तरह शरीर मे फैल जाता है पहला यह की जब यह पनपता है तो क्या- क्या होता है|
टाईफाइड, बुखार, उल्टी होना
दस्त लगना
आंखे लाल होना
गले मे कफ
मांसपेशियो मे दर्द होना
बाल झडना
रक्तस्त्राव
और अब दुसरा जब यह पुरे शरीर मे फैल जाता है यह परिस्थिति बहुत भयावह होती है।
त्वचा गलने लगती है
नसो का खुन नसो से बाहर निकलकर मांसपेशियो मे चला जाता है और शरिर का अंदरुनी स्त्रावण आरंभ हो जाता है
गुरदा और जिगर का कार्य बहुत धीमा हो जाता है
शरिर गलने लगता है
शरीर जेली जैसा हो जाता है
खुन की उल्टी
खुन के दस्त लगने लगते है
इबोला का उपाय और बचने के तरीके (EBOLA TREATMENT OR SOLUTION)
इबोला का उपचार नही किया जा सकता है और न ही इसकी कोई दवा है इसके मरीजो को बहुत ही सावधानी से रखा जाता है और संभल कर रखा जाता है और सुरक्षित तरीके से उपचार करने की कोशिश की जाती है ताकी यह संक्रमण न फैले क्योंकी यह वायरस
बहुत ही घातक है जिसने अब तक हज़ारो लोगो की जान ली है लेकिन इसमे अलग-अलग प्रजाति पाई जाति है जिनमे ज्यादातर शरीर खुद इसे ठिक कर लेता है या डॉक्टर्स से दवा लेने से यह ठिक हो जाता है और वह प्रजाति मनुष्यो मे न के बराबर देखी गई है तो
उससे उतना खतरा नही है वह फैलती नही है इसलिए हमने आपको सिर्फ इबोला के बारे मे बताया है। इसका कोई उपचार नही होने के कारण इसके मरीज का मृत्यु के अलावा कोई और दुसरा विकल्प नही है इसके बारे मे चिकित्स्क खोज कर रहे है। इसके मरीजो से दुर रहना ही एक उपाय है बचे रहने का।
इबोला कैसे होता है और फैलता है (HOW EBOLA HAVE TO HUMAN)
यह मरिज के पसीने
मरिज के खुन से
श्वास से
शारीरीक संबंधो द्वारा
मरिज के शव के संपर्क से
सुई यानी की इंजेक्शन द्वारा
और सबसे महत्वपुर्ण यह है की आप इसके मरिज को छुए नही बहुत ही सावधानी बरते।
इबोला के लक्षण और प्रभाव (EBOLA SYMNTOMS)
इबोला के लक्षण दो प्रकार से है एक तो जब यह शरीर मे पनपता है और दुसरा यह की जब यह पुरी तरह शरीर मे फैल जाता है पहला यह की जब यह पनपता है तो क्या- क्या होता है|
टाईफाइड, बुखार, उल्टी होना
दस्त लगना
आंखे लाल होना
गले मे कफ
मांसपेशियो मे दर्द होना
बाल झडना
रक्तस्त्राव
और अब दुसरा जब यह पुरे शरीर मे फैल जाता है यह परिस्थिति बहुत भयावह होती है।
त्वचा गलने लगती है
नसो का खुन नसो से बाहर निकलकर मांसपेशियो मे चला जाता है और शरिर का अंदरुनी स्त्रावण आरंभ हो जाता है
गुरदा और जिगर का कार्य बहुत धीमा हो जाता है
शरिर गलने लगता है
शरीर जेली जैसा हो जाता है
खुन की उल्टी
खुन के दस्त लगने लगते है
इबोला का उपाय और बचने के तरीके (EBOLA TREATMENT OR SOLUTION)
इबोला का उपचार नही किया जा सकता है और न ही इसकी कोई दवा है इसके मरीजो को बहुत ही सावधानी से रखा जाता है और संभल कर रखा जाता है और सुरक्षित तरीके से उपचार करने की कोशिश की जाती है ताकी यह संक्रमण न फैले क्योंकी यह वायरस बहुत ही घातक है जिसने अब तक हज़ारो लोगो की जान ली है लेकिन इसमे अलग-अलग प्रजाति पाई जाति है जिनमे ज्यादातर शरीर खुद इसे ठिक कर लेता है या डॉक्टर्स से दवा लेने से यह ठिक हो जाता है और वह प्रजाति मनुष्यो मे न के बराबर देखी गई है तो उससे उतना खतरा नही है वह फैलती नही है इसलिए हमने आपको सिर्फ इबोला के बारे मे बताया है। इसका कोई उपचार नही होने के कारण इसके मरीज का मृत्यु के अलावा कोई और दुसरा विकल्प नही है इसके बारे मे चिकित्स्क खोज कर रहे है। इसके मरीजो से दुर रहना ही एक उपाय है बचे रहने का।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें