गुरुवार, 28 नवंबर 2019

WHEN FOUNDED PETROLIUM AND HOW,WHERE जानिए हिंदी मे (IN HINDI)



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पेट्रोलियम कब पाया गया पेट्रोलियम का पूरा इतिहास



मित्रो आज हम बहुत ही खास विषय के बारे मे जानकारी सांझा करनेवाले है आज हम बात करनेवाले है पेट्रोलियम(PETROLIUM) के बारे मे इसका दुसरा नाम गैसोलिन(GASOLINE) है इसे कुछ देशो मे गैसोलिन कहा जाता है वैसे आज पेट्रोलियम पर बहुत-सी प्रक्रिया करके बहुत से तेल और गैसे प्राप्त किए गए है लेकिन आज हम बताएगे की पेट्रोलियम का इतिहास कैसा था और कैसे यह प्राप्त हुआ। पेट्रोलियम का मानवता को आगे बढाने मे बहुत बडा योगदान है हमारे दैनिक जीवन मे इसका बहुत उपयोग होता है और यह उपयोग बहुत ज्यादा होने की वजह से आज यह हमारे लिये धीरे-धीरे जहर बनता जा रहा है। पेट्रोलियम अब विश्व मे कुछ ही समय के लिए बचा है लगभग यह सिर्फ 50-53 सालो के लिए है इसके बाद यह खत्म हो जाएगा क्योंकि यह एक प्राकृतिक संसाधन होने के कारण हम इसे बना नही सकते इसलिए विश्वभर मे ईधन के रुप बहुत-सी खोजे हो रही है। तो चलिए हम अपने विषय के बारे जानते है :-


तो सबसे पहली बात यह एक प्राकृतिक संसाधन है तो इस वस्तु की खोज नही हो सकती। यह प्रकृति मे बहुत सालो से मौजूद लेकिन इसे पेट्रोल के रुप प्राप्त करने के लिए बहुत साल लगे। यह एशिया और अमेरिका महाद्वीप पर पानी के कुए जैसे यह तेल प्राकृतिक गढ्ढो मे पाया जाता था और लोगो को ज्यादा ज्ञान न होने के कारण लोगो के लिए यह सिर्फ काला पानी था ईराक मे इसके बहुत बडे-बडे गढ्ढे थे यहाँ के लोगो ने इससे डामर बनाना सिख लिया और इस डामर का उपयोग टॉवर ओफ बॅबीलोन का निर्माण करने के लिए किया गया क्योंकी यह ज्वलनशील होने के कारण यह प्रकाश निर्माण के काम भी आती थी। प्राचीनकाल मे चीनीयो ने इसका उपयोग 2000 से भी अधिक पुर्व ईधन के रुप मे किया यह उन्होने अपने देश चीन मे किया और इसे गढ्ढो मे से यहाँ से वहाँ ले जाने के लिए बांस का उपयोग किया इसके पश्चात यह ईराक मे इस कच्चे तेल को अरबी रसायनजानकारो द्वारा विस्तारित किया जाता था और इसपर एक किताब भी लिखी गई थी जिसका नाम मुहम्म्द इब्न जकारिया राजी थी तब वह इसका उपयोग सडके बनाने के काम मे करते थे। इसके बावजूद भी ईराक और दुसरे देशो मे इसका सही उपयोग नही जान सके थे दुसरो के मुकाबले मे और इसी का लाभ कुछ लोगो ने इन देशो मे स्थित इन गढ्ढो का शोषण किया और इसका वर्णन कई भूगोलको ने किया इसके बाद भी इसे जहाजो मे भर-भर कर ले जाया जाता रहा। इसके बाद इसकी मौजूदगी पुरे विश्व मे पाने जाने लगी और युरोप मे यह पहली बार पेचेलब्रोन नामक जगह पर पाया गया लेकिन इसके साथ पानी के भी अंश प्राप्त हुए बाद मे इसे कुछ जगहो पर चिकित्सा प्रयोजनो के लिए इसका उपयोग किया गया। लेकिन इसकी खबर पुरे विश्व मे सिर्फ कुछ ही देशो को थी फिर खनन का एक रुप बन गया और इसपर धीरे-धीरे शोध आरम्भ किए गए। 1851 पहली मे तेल रिफाईनरी का निर्माण किया गया और यह एक व्ययसाय बनता जा रहा था। लेकिन इग्नेसिस इयुकसैविक्ज(IGNESIS IEWUKASIEWICZ) इस पर गहन शोध किया और एक रिफाईनरी का निर्माण करवाया जिसमे उन्होने अलग-अलग प्रकार के तेल प्राप्त किए जैसे की केरोसिन आदि। इसके बाद कोलोनेल इडविन ड्रेक(COLONEL EDWIN DRAKE) ने सबसे आधुनिक रिफाईनरी का निर्माण किया बाकी सभी रिफाईनरी तेल के गढ्ढो पर बनाई गई थी लेकिन कोलोनेल द्वारा बनाई इस रिफाईनरी को जमीन के नीचे से खोदकर तेल प्राप्त करना शुरू कर दिया इससे विश्वभर मे तेल उद्योग मे क्रांति आई इसके बाद भी ईराक जैसे देशो मे शोषण का काम जारी रहा और कुछ सालो बाद वहा के लोगो को इसके बारे ज्ञात हुआ और वहाँ के लोगो ने उसपर अपना कब्ज़ा कर लिया। इसके बाद इंजन का आविष्कार होने के बाद से इसपर प्रक्रिया और गहन शोध द्वारा पेट्रोल और अन्य गैसो के बारे मे लोगो ने खुलकर जाना और इसका उपयोग किया।

कांच को कब बनाया और निर्माण किया गया जनिए हिंदी मे(IN HINDI)



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इतिहास कांच का -


कांच,शीशा अथवा ग्लास(GLASS) का इतिहास बहुत पुराना है इसका उल्लेख भारतीय शास्त्रो मे भी मिलता है। कांच को इतिहास मे लगभग हर जगह पाया गया इसे भारत मे भी पाया गया और युरोपीय महाद्वीपो पर भी पाया जाता था इनमे अंतर इतना था की सभी ने इसे अपने-अपने हिसाब से उपयोग किया और उसपर प्रयोग किया गया था। आज हम आपको कांच का संपुर्ण इतिहास बतानेवाले है कि कैसे वह प्रकृति मे स्थित था और कैसे उसने चेहरा देखनेवाला दर्पण बना।

                                                                                           स्फटिक

हम सबसे पहले भारत की बात करते है यहाँ यह बहुत पहले ही पाया गया था इसका उपयोग महाभारत एंव रामायण काल मे भी किया गया था और कुछ शास्त्रो मे भी इसके बारे मे उल्लेख किया गया। दर्पण के रुप मे कांच का उपयोग अभी-अभी कुछ 300-350 सालो पहले हुआ उससे पहले यह सजावट के लिए एंव अन्य कार्यो के लिए उपयोग किया जाता था। भारत मे सफ्टिक अथवा क्वार्टज नामक खनिज को कांच के रुप मे उपयोग किया जाता था लेकिन यह कांच पुर्ण रुप से आज के कांच की तरह शुद्ध नही था और यहाँ से कुछ देशो को यह निर्यात भी किया जाता था। भारत मे पहले चेहरा देखने के लिए धातु से बने दर्पण का उपयोग किया जाता था जैसे चांदी,तांबा आदि।
 अब बात करते है दुसरे जगहो की लोगो के अनुसार अथवा किवंदती(लोगो की पीढी दर पीढी बताई गई बाते) के अनुसार सर्वप्रथम कांच को मेसोपोटामिया मे ईसा के जन्म के 12000 साल पहले खोजा गया वहाँ यह इस प्रकार पाया की कुछ व्यापारी समुद्रतट पर जब खाना बनाने लिए जब जहाजो से बर्तन उतारे गए और वह अपने साथ कुछ ज्वलनशील वस्तु लाए थे और जब उन्होने खाना बनाना प्रारंभ किया उससे कुछ देर बात रेतीली जगह जहाँ खाना बनाया जा रहा था वहाँ कुछ द्रव्य पदार्थ पिघलकर थोडी देर बाद वह ठोस मे बदल गया और ऐसा ही कुछ सीरिया के फिनिशीया के समुद्रतट पर भी हुआ इसके बाद यह कुछ सालो तक लोगो के गहने और ताबिज बनाने के लिए उपयोग किया जाता था फिर धीरे-धीरे कुछ लोगो ने इसपर प्रयोग किया इसमे मिस्त्रवासियो ने कांच के खुले सांचो को दबाकर तश्तरिया और कटोरे बनाना प्रारम्भ कर दिया।

                                                                                             क्राऊन कांच


                                                                                          फ्लोट कांच


                                                                                                लेंस

 ईसायुग के 350 वर्ष पहले फिनिशीयावासियो ने कांच फुंकनी द्वारा फुककर कांच के खोखले पात्र बनाए और यह मानव का एक महान आविष्कार था और यह प्रक्रिया आज भी जीवित है बाद मे यह ईसायुग के आते-आते यह उद्योग मे बदल गया और ईसायुग के प्रारंभ मे यह चरमसीमा पर पहुंच गया और बहुत बडे-बडे प्रयोग हुए और सन 1226 मे "ब्रोड शीट(BROAD SHEET)" का यानि कांच की सतह बनाई गई। सन 1330 को फ्रांस के रौएन मे क्राउन कांच का निर्माण हुआ और इसे आयात-निर्यात किया जाता था।सन 1620 मे "ब्लोअन प्लेट(BLOWN PLATE)" का निर्माण हुआ यह थोडा थाली की तरह दिखाई देता है फिर इसके बाद सन 1678 मे"क्राउन कांच(CROWN GLASS)" की गुणवत्ता मे बदलाव करके उत्तल लेंस और अवतल लेंस बनाने मे किया जाता था जिसके बाद चश्मे का आविष्कार भी हुआ बाद मे 1688 मे "पोलिश्ड प्लेट(POLISHED PLATE)" का शोध हुआऔर इसके ऊपर शोध होता रहा तथा कांच की गुणवत्ता को बढाने का प्रयोग जारी रहा और 1959 को "फ्लोट कांच(FLOTE GLASS") को बाज़ार मे उतारा गया इसके पहले भी कांच के क्षेत्र मे बहुत आविष्कार हुए और यह आज बहुत बडा उद्योग बन गया है।

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