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मित्रो आप सभी प्लास्टिक के बारे मे तो जानते ही होंगे प्लास्टिक का हमारे दैनिक जीवन मे बहुत महत्वपुर्ण योगदान है
प्लास्टिक आज कल ज्यादा उपयोग होने की कि वजह से यह हमारे लिए सबसे घातक वस्तुओ मे से एक जाना जाता है। लेकिन आज हम आपको बतानेवाले है की प्लास्टिक बनता कैसे हैं तो चलिए जानते है।
सबसे पहले प्लास्टिक की सामग्री के बारे मे जान लेते है जो की प्राकृतिक और कार्बनिक सामग्री है जैसे की सेल्युलोज,कोयला,प्राकृतिक गैसे,नमक,और महत्वपुर्ण कच्चा तेल।
कच्चा तेल बहुत ही जटिल मिश्रण होता है इसमे हज़ारो कि संख्या मे यौगिक पदार्थ शामिल होने के कारण इसे उपयोग करने के पहले परिवर्तित किया जाता है।
प्लास्टीक का उत्पादन सबसे पहले कच्चे तेल के स्त्रावण से शुरु की जाती है तेल परिष्करणशाला( OIL REFINERY) मे की जाती है।
जिससे की इसमे भारी कच्चे तेल के अवयव( COMPONENTS) हल्के हो जाते है इस प्रक्रिया को खंड अथवा भिन्न अंक( FRACTION) कहते है।
हर खंड हाईड्रोकार्बन के मिश्रण की माला( CHAIN) होती है जो की आकार और संरचना मे अलग होती है उनके अणु के। इन सभी सामग्री मे खनिज तेल निर्णायक यौगिक पदार्थ माना जाता है प्लास्टिक के उत्पादन मे।
प्लास्टिक उत्पादन के मुलभूत दो प्रकार है पोलिमेराईजेशन तथा पोलिकोंडेनजेशन अथवा यह दोनो विशिष्ट उत्प्रेरक है।
पोलिमेराईजेशन के प्रतिघातक(REACTOR) एकलक(MONOMERS) जैसे की इथीलेन और प्रोपीलेन यह आपस मे जुडकर बहुलक(POLYMER) माला के रुप मे बने होते है और हर एक बहुलक का अपना गुण(PROPERTIES),संरचना(STRUCTURE) तथा आकार(SIZE) होता है।
वैसे तो बहुत सारे प्रकार के प्लास्टिक होते है लेकिन उन सभी को दो भागो मे विभाजित किया गया है।
1) थर्मोप्लास्टिक - इसे गरम करने पर यह नरम हो जाता है और बाद मे यह थंडा होने के बाद फिर से ठोस हो जाता है
2) थर्मोसेट्स - यह नरम नही होता है एकबार आकार देने या ठोस होने के बाद।
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दोस्तो आज ह्म बहुत ही रोचक विषय के बारे मे जानेंगे यह विषय इतिहास से जुडा हुआ है तो चलिये जानते है :-
मित्रो आज हम कगज के बारे मे जानेंगे। कागज का उपयोग लिखने तथा छपाई के लिए किया जाता है और इसका मानव सभ्यता के विकास मे बहुत बडा योगदान है।
इतिहासकारो का मानना है की पह्ला कागज कपडो के चिथडो से चीन मे बनाया गया।
कागज पौधो, पेडो से बनाया जाता है। पौधो मे सेल्युलोज़ नामक एक कार्बोहाइड्रेट पाया जाता है जो पौधो के पंजर का मुख्य पदार्थ होता है। गीले तंतुओ को दबाकर और सुखाकर कागज का निर्माण किया जाता है इन तंतुओ को सेल्युलोज कि लुगदि कहा जाता है।
सेल्युलोज के रेशो को परस्पर एक समान जुटकर चद्दर के रुप मे बनाया जाता है इस प्रकार चद्दर के रुप तैयार होने का गुण केवल सेल्युलोज के रेशो मे होता है। जिस पौधे मे सेल्युलोज अच्छी मात्रा मे पाया जाता है उसका उपयोग कागज बनाने मे किया जाता है।
पौधो मे सेल्युलोज के अलावा कई और पदार्थ मिले हुए रह्ते है जैसे की लिग्निन,पेक्टिन,खनिज लवण और वसा तथा रंग पदार्थ सुक्ष्म मात्रा मे होते है अत: जब तक इन्हे निकालकर पर्याप्त मात्रा मे सेल्युलोज नही मिल जाता इन पदार्थो को निकालने की प्रक्रिया चालु रह्ती है। इनमे से लिग्निन का निकालना बहुत आवश्यक है क्योंकि इससे सेल्युलोज के रेशे प्राप्त करना कठिन होता है शुरुआत मे जब शुद्ध सेल्युलोज निकालने की कोई अच्छी विधि नही थी तब तक कागज सुती कपडो से बनाया जाता था इनसे कागज बनाना बहुत सरल और उच्च कोटी का प्राप्त होता था।
जितना अधिक शुद्ध सेल्युलोज होता कागज उतना स्वच्छ और सुंदर बनता है। रुई भी शुद्ध सेल्युलोज ही है लेकिन यह कपडा बनाने के उपयोग मे आती है क्योंकि यह मंहगी होती है और इसमे परस्पर जुटने का गुण नही होता है।
कागज की रद्दी और कपडे के चिथडो मे भी सेल्युलोज ज्यादा मात्रा मे पाया जाता है इनसे भी कागज निर्माण किया जाता है।
आज कल मुख्य रुप से कागज बनाने मे चिथडे, कागज की रद्दी, और बांस तथा स्प्रुस,चीड,घांसे जैसे सबई,एस्पार्टो का उपयोग किया जाता है। भारत मे बांस और सबई घांस का उपयोग ज्यादा किया जाता है।
कागज का अधिक उपयोग होना यह पर्यावरण के लिए बहुत ही गंभीर विषय है इसका उपयोग ज्यादा होने के कारण पर्यावरण पर बहुत बुरा प्रभाव पडा है।
विश्व मे जितने भी पेड काटे जाते है उनमे से 35% कटे हुए पेडो का उपयोग कागज बनाने मे किए जाते है।
भारत मे 2017-2018 की गणना के अनुसार 2017-2018 मे कुल 2.3 करोड टन कागज का उपयोग हुआ गणना के अनुसार 2019-2020 मे बढकर 2.5 करोड हो सकती है।
कागज को सफेद के उपाय बहुत ही नुकसानदायक है जिससे पर्यावरण मे क्लोरिन और क्लोरिनेटेड डाईऑक्सिन छोडते है जो पर्यावरण के लिए बहुत खतरनाक है यह एक प्रकार का प्रधुशक है जिसके प्रयोग पर अंतर्राष्ट्रिय नियंत्रण है।
यह गैस बहुत ही हानिकारक है इसका मानव जीवन पर खतरनाक प्रभाव है जैसे प्रजनन,विकास पर और बिमारी से प्रतिरक्षा, हर्मोन सम्बंधी सम्स्याए शामिल है। मानवो मे 80-90% डाईऑक्सिन भोजन द्वारा आता है यह कारखानो द्वारा पर्यावरण मे छोडा जाता है और यह जानवरो द्वारा मानवो तक पहुच जाता है यह( डाईऑक्सिन) पशुओ की चर्बि मे जमा हो जाते है अर्थात यह पशुओ के दुध,मांस और मछली द्वारा मनुष्य तक आता है जिससे गंभिर बिमारी का निर्माण होता है।
इसलिए कागज का उपयोग संभाल कर करना चाहिए और कम करना चाहिए ताकि पर्यावरण को कम हानि होने से बचा सके।
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हमारे भारत देश का मानचित्र आज जिस प्रकार से दिखाई देता है यह आज़ादी के पहले वैसा नही था। आज़ादी के पहले भारत मे बहुत सारी रियासते थी उनमे से कुछ रियासते इस नये भारत मे शामिल नहीं होना चाहती थी बाद मे उन सभी को एकजुट होना पडा इसके बाद निर्माण हुआ हमारा पुर्ण भारत।
आज हम आपको बताएंगे की आजादी बाद कौन-से राज्य कब भारत मे सम्मिलित हुए। नीचे सभी राज्यो की तालिका दी गई है जिनमे क्रमांक,तालिका और राज्य कब निर्माण हुआ उसकी जानकारी दी गई है।
क्रमांक
राज्य का नाम
अलग राज्य घोषित करने का दिन
1
बिहार
1 अप्रेल 1936
2
असम
15 अगस्त 1947
3
जम्मु और कश्मिर
26 अक्तुबर 1947
4
उत्तर प्रदेश
26 जनवरी 1950
5
तमिलनाडु
26 जनवरी 1950
6
आंध्र प्रदेश
1 अक्तुबर 1953
7
पुद्दुचेरी
1 नव्म्बर 1954
8
राजस्थान
1 नव्म्बर 1956
9
अंदमान और निकोबार
1 नव्म्बर 1956
10
लक्ष्यदीप
1 नव्म्बर 1956
11
पश्चिम बंगाल
1 नव्म्बर 1956
12
कर्नाट्क
1 नव्म्बर 1956
13
दिल्ली
1956
14
मध्य प्रदेश
1 नव्म्बर 1956
15
केरल
1 नव्म्बर 1956
16
उडिसा
1 अप्रेल 1956
17
गुजरात
1 मई 1960
18
महाराष्टृ
1 मई 1960
19
गोवा
30 मई 1961
20
दादर और नगर हवेली
11 अगस्त 1961
21
नागालैंड
1 दिसम्बर 1963
22
चंडीगड
1 नव्म्बर 1966
23
पंजाब
1 नव्म्बर 1966
24
हरयाणा
1 नव्म्बर 1966
25
हिमाचल प्रदेश
25 जनवरी 1971
26
मेघालय
20 जनवरी 1972
27
मणिपुर
21 जनवरी 1972
28
त्रिपुरा
21 जनवरी 1972
29
सिक्किम
16 मई 1975
30
अरुणाचल प्रदेश
20 फरवरी 1987
31
मिज़ोरम
20 फरवरी 1987
32
दमन और दिहू
23 मई 1987
33
उत्तराखंड
9 नव्म्बर 2000
34
झारखंड
15 नव्म्बर 2000
35
छत्तीसगढ
15 नव्म्बर 2000
36
तेलंगाना
2 जुन 2014
3
लद्दाख
31 अक्टुबर2019
दी गई तालिका मे बिहार यह राज्य आज़ादी के पहले निर्माण हुआ था और बाकी के राज्य आज़ादी के समय या उसके बाद निर्माण किए।
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नवम्बर की सुपरकंप्यूटर गणना के अनुसार भारत के चार(4) सुपरकंप्यूटर्स(SUPERCOMPUTERS) विश्व के सबसे सर्वोच्च पांचसौ(TOP 500) सुपरकंप्यूटर्स मे दर्ज है जिनकी तालिका(LIST,TABLE) नीचे दर्शायी गई है और तालिका के नीचे विस्तार से बताया गया है।
विश्व पद (WORLD RANK)-
पैंतालीसवां (45th)
नाम (NAME)-
प्रत्युष (PRATYUSH)
उपयोग किए जानेवाला स्थान (SITE)-
इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ ट्रॉपिकल मैट्रोलोजी (INDIAN INSTITUTE OF TROPICAL METROLOGY)
● प्रत्युष यह सुपरकंप्यूटर विश्व के पैंतालीसवे(45th) स्थान पर स्थापित है और यह भारतीय उष्णदेशीय मौसम विज्ञान संस्थान (इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मैट्रोलोजी,INDIAN INSTITUTE OF TROPICAL METROLOGY) द्वारा उपयोग किया जाता है जो की महाराष्ट्र के पुणे में स्थित है। इसे क्रे इंकॉर्पोरेशन द्वारा बनाया गया है। इसमें 1,19,232 कोर्स(core) लगे हुए है और एक्सेओं ई5-2695वी4 18सी 2.1गीगाहर्ट्ज़ (XEON E5-2695v4 18C 2.1GHZ का प्रोसेसर लगा हुआ है। अब बात करते है इसकी तेजी की तो इसका आरमॅक्स(Rmax) है 3763.94 टेराफ्लोप्स और इसका आरपीक(Rpeak) है 4006.2 टेराफ्लोप्स तथा एनमॅक्स(Nmax) 5935104 है। यह सुपरकंप्यूटर 1353.23 किलोवॉट की विद्युत् शक्ति(POWER) पर चलता है और इसकी ऑपरेटिंग प्रणाली क्रे लिनक्स एनवायरनमेंट है तथा यह एरीज इंटरकनेक्ट द्वारा इंटरकनेक्टेड है।
विश्व पद (WORLD RANK)-
तिहत्तरवां (73rd)
नाम (NAME)-
मिहिर (MIHIR)
उपयोग किए जानेवाला स्थान (SITE)-
नॅशनल सेंटर फॉर मीडियम रेंज वेदर फोरकास्टिंग(NATIONAL CENTRE FOR MEDIUM RANGE WEATHER FORECASTING)
● तिहत्तरवां(73th) पद प्राप्त करनेवाला यह सुपरकंप्यूटर भारत का दूसरा सुपरकंप्यूटर है जिसने विश्व के सबसे सर्वोच्च 500 सुपरकंप्यूटर में स्थान प्राप्त किया है जिसका नाम मिहिर है। इसे भी क्रे इंकॉर्पोरेशन द्वारा निर्माण किया गया है और इसे नॅशनल सेंटर फॉर मीडियम रेंज वेदर फोरकास्टिंग(NATIONAL CENTER FOR MEDIUM RANGE WEATHER FORECASTING) मे उपयोग किया जाता है। इसमें कुल मिलाकर 83,592 कोर्स(cores) लगे हुए है। मिहिर में एक्सेओं ई5-2695वी4 18सी 2.1गीगाहर्ट्ज़ (XEON E5-2695v4 18C 2.1GHZ प्रोसेसर लगा हुआ है। इस सुपरकंप्यूटर का आरमॅक्स 2570.4 और आरपीक 2808.68 है तथा एनमॅक्स 3349440 तक है। इस सुपरकंप्यूटर पर उपयोग की जानेवाली विद्युत् शक्ति 954.73 है। मिहिर की ऑपरेटिंग प्रणाली क्रे लिनक्स एनवायरनमेंट है और यह एरीज इंटरकनेक्ट द्वारा इंटरकनेक्टेड है।
● आईएनसी1(Inc1) यह सुपरकंप्यूटर तीनसौ सैतीसवां(337th) पद प्राप्त करनेवाला यह सुपरकंप्यूटर लेनोवो(LENOVO) नामक एक सॉफ्टवेयर कंपनी द्वारा बनाया गया है और यही सॉफ्टवेयर कंपनी इसका उपयोग करती है। इसमें 38,400 कोर्स(cores) लगे हुए है और इसमें एक्सेओं ई5-2673वी4 20सी 2.3गीगाहर्ट्ज़ (XEON E5-2673v4 20C 2.3GHZ) प्रोसेसर लगे हुए है। इस सुपरकंप्यूटर का आरमॅक्स 1123.15 टेराफ्लोप्स है और आरपीक 1413.12 टेराफ्लोप्स है अथवा इसका एनमॅक्स 70,10,880 है। इस कंप्यूटर की स्टोरेज 4,91,520 जीबी(GB) है और यह लिनक्स ऑपरेटिंग प्रणाली पर काम करता है तथा यह 40जी ईथरनेट(40G ETHERNET) से इंटरकनेक्टेड है।
विश्व पद (WORLD RANK)-
चारसौअट्ठासीवा (488th)
नाम (NAME)-
एसईआरसी (SERC)
उपयोग किए जानेवाला स्थान (SITE)-
सुपरकंप्यूटर एजुकेशन एंड रिसर्च सेंटर,इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ साइंस(SUPERCOMPUTER EDUCATION AND REASEARCH CENTRE(SERC),INDIAN INSTITUTE OF SCIENCE)
● चारसौअट्ठासीवें(488th) स्थान पर स्थापित यह सुपरकंप्यूटर भारत का चौथा सुपरकंप्यूटर है और यह भी क्रे इंकॉर्पोरेशन द्वारा निर्माण किया गया है जिसका नाम एसईआरसी(SERC) है इसे कर्नाटक में स्थित बंगलुरु शहर के सुपरकंप्यूटर एजुकेशन एंड रिसर्च सेंटर(SUPERCOMPUTER EDUCATION AND RESEARCH CENTER) अर्थात इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस(INDIAN INSTITUTE OF SCIENCE) मे उपयोग किया जाता है। इसमें कुल मिलाकर 31,104 कोर्स(cores) है और इसमें एक्सेओं ई5-2680वी4 12सी 2.5गीगाहर्ट्ज़ (XEON E5-2680v4 12C 2.5GHZ प्रोसेसर लगा हुआ है। इस सुपरकंप्यूटर का आरमॅक्स(Rmax) 901.506 टेराफ्लोप्स है और आरपीक 1244.16 टेराफ्लोप्स है। यह 607.50 किलोवॉट की विद्युत् शक्ति पर संचालित है। इसकी भी ऑपरेटिंग प्रणाली क्रे लिनक्स एनवायरनमेंट है और यह एरीज इंटरकनेक्ट द्वारा इंटरकनेक्टेड है।
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कार्बोहाइड्रेट्स क्या है ?
कार्बोहाइड्रेट्स(CARBOHYDRATES) हमारे शरीर के सबसे महत्वपूर्ण पोषक मे से एक है। महत्वपूर्ण पोषक तत्व के साथ-साथ ऊर्जा का भी बहुत अच्छा स्त्रोत है। हमारा पाचन तंत्र(DIGESTIVE SYSTEM) कार्बोहाइड्रेट्स को ग्लूकोस में परिवर्तित करता है जिसे हम ब्लड शुगर(BLOOD SUGAR) भी कहते है। शरीर इस ग्लूकोस को हमारे कोशिकाओ(CELLS),ऊतकों(TISSUES) और अंगो(ORGANS) को ऊर्जा देने के लिए उपयोग करता है। हमारा शरीर ज्यादा ग्लूकोस/शुगर को यकृत(LIVER) और मांसपेशियो(MUSCELS) में जमा कर देता है और जब इसकी आवश्यकता होती है तो इसका उपयोग करता है। कार्बोहाइड्रेट्स रासायनिक ढंग से तीन निष्पक्ष अणुओ(MOLECULE) जो कार्बन,हाइड्रोजन और ऑक्सीजन है। कार्बोहाइड्रेट्स के दो स्वरूप है एक है सरल(SIMPLE) रूप और दूसरा है जटिल(COMPLEX) रूप। सरल रूप शुगर(SUGAR) को कहते है और जटिल रूप स्टार्च(STARCH) तथा फाइबर(FIBER) को कहते है। एक कार्बोहाइड्रेट्स के अंदर चार कैलोरीज(CALORIES) होती है।
कार्बोहाइड्रेट्स को यदि कोई मनुष्य कम लेता है तो ज्यादा हानि नही होती जितना इसे ज्यादा लेने से होती है। कार्बोहाइड्रेट्स को ज्यादा लेने से मोटापा(OBESITY) होने का खतरा बहुत बढ़ जाता है। जिससे हदयघात(HEART ATTACK) का खतरा भी होता है। कार्बोहाइड्रेट्स की बढ़ोतरी से शरीर में शुगर की मात्रा बढ़ने का भी खतरा होता है जिससे डाइबिटीज़(DIABETIS) होती है। कांस्टिपेशन(CONSTIPATION) यानि पाचन तंत्र खराब होने की संभवना होती है जिससे पूरा शारीरिक विकास कमजोर हो जाता है।
कार्बोहाइड्रेट्स के लाभ :-
कार्बोहाइड्रेट्स के कई लाभ है यदि इसे उचित मात्रा में लिया जाए। यह शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है जैसे की पाचन तंत्र कार्बोहाइड्रेट्स को ग्लूकोस में परिवर्तित करता है जिससे शरीर को ऊर्जा मिलती है और यह तुरंत ऊर्जा प्रदान करता है और जटिल कार्बोहाइड्रेट्स शरीर को लंबे समय तक ऊर्जा देता है क्योंकि यह शरीर मे धीरे-धीरे शुगर को प्रवाहित करता है। हमारे मस्तिष्क को 20% ऊर्जा की जरुरत होती है जो शरीर का सबसे ज्यादा ऊर्जा खर्च करता है कार्बोहाइड्रेट्स इसे भी नियंत्रित रखता है। जटिल कार्बोहाइड्रेट्स में कम कोलेस्ट्रोल(CHOLESTROL) होता है जिससे डाइबिटीज़ का खतरा कम रहता है। यह पाचन तंत्र को और सुधारने का भी काम करता है। जटिल कार्बोहाइड्रेट्स से वजन नियंत्रित रखने में सहायता होती है।
कार्बोहाइड्रेट्स के स्त्रोत :-
कार्बोहाइड्रेट्स सबसे ज्यादा आलू ,ब्राउन राइस, केले और सब्जियों में पाया जाता है और गेहु में भी सबसे ज्यादा पाया जाता है। कार्बोहाइड्रेट्स का सेवन हमें हमारे दैनिक आहार में 60% तक करना चाहिए।
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क्या होता है आरमैक्स(Rmax) और आरपीक(Rpeak) ?
1. आरमैक्स(Rmax) और आरपीक(Rpeak) यह लिनपैक बेंचमार्क(LINPACK BENCHMARK) द्वारा उच्च प्रदर्शन संगणना(HIGH PERFORMANCE COMPUTING) के लिए निर्धारित किया जाता है।
2. यह सुपरकंप्यूटर का पद(RANK) निर्धारित करने के लिए उपयोग किया जाता है।
3. आरमैक्स(Rmax) यह एक प्रणाली(SYSTEM) के सबसे अधिकतम(MAXIMUM) किए गए प्रदर्शन(PERFORMANCE) का स्तर(LEVEL) को दर्शाता है। उदाहरण के लिए जैसे की 100 मीटर दौड़ स्पर्धा किसी व्यक्ति ने 20 सेकंड में पूर्ण कर ली वह प्रत्येक दौड़ स्पर्धा 20 सेकंड के अंदर पूर्ण कर रहा है वह 20 सेकंड उसका आरमैक्स(Rmax) है इतने समय के अंदर वह दौड़ स्पर्धा पूर्ण करके दौड़ स्पर्धा 20 सेकंड में जीत जाता है या 20 सेकंड सबसे अधिकतम समय है ।
4. आरपीक(Rpeak) यह उस प्रणाली(SYSTEM) का सैद्धांतिक(THEORETICAL,अनुमानित) स्तर को दर्शाता है। उदाहरण के लिए वही उदाहरण लेते है दौड़ स्पर्धा का अब वही व्यक्ति वही दौड़ स्पर्धा उस व्यक्ति ने 18 सेकंड में पूर्ण की यह उसका न्यूनतम समय है या वह वयक्ति इससे भी कम समय में यह तय करता है तो वह समय उसका आरपीक(Rpeak) है।
5. आरमैक्स(Rmax) और आरपीक(Rpeak) इन्हें टेराफ्लोप्स(Teraflops) अथवा पेटाफ्लोप्स(Petaflops) में मापा जाता है। यह बहुत बड़ी संख्या है।
ऊपर दर्शाये गई तालिका में क्रमांक, पोषक तत्त्व का नाम अथवा पोषक तत्त्व को प्रतिदिन कितनी मात्रा में लेना है दर्शाया गया है जिसमे एमसीजी(mcg) का अर्थ माइक्रोग्राम(microgram) है और एमजी(mg) तथा जी(g) का अर्थ मिलीग्राम और ग्राम है।
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कैल्शियम के बारे में जानकारी।
मित्रो हमारे दैनिक जीवन में हर एक पोषक(NUTRIENTS) पदार्थ बहुत उपयोगी है लेकिन जिस पोषक आहार का हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण योगदान है आज हम उसके बारे में बात करनेवाले है जिसका नाम कैल्शियम है। यह हमारे शारीरिक विकास के लिए अत्यंत आवश्यक एंव महत्वपूर्ण खनिज/पोषक पदार्थ है यह हमारी हड्डियो का विकास करने मे सबसे अधिक सक्षम है इसके आलावा यह हमारे ऊतकों,मांसपेशियो में भी पाया जाता है। हमें प्रतिदिन कैल्शियम की मात्रा 1000-1300मिलीग्राम(Mg) तक सेवन करना चाहिए। आइये विस्तार से जानते है :-
कैल्शियम के लाभ(BENEFIT) :-
कैल्शियम हमारी हड्डियों के लिए सबसे महत्वपूर्ण है। इससे हड्डियां स्वस्थ रहती है। कैल्शियम हमारे ह्रदय(HEART),मांसपेशियो(MUSLES) और शरीर को सुचारू रूप से चलाता है। यदि आप इसे विटामिन डी(VITAMIN D) के साथ लेते है तो आपके शरीर को कैंसर(CANCER),डायबिटीज(DIABETES) और उच्च रक्त दाब(HIGH BLOOD PRESSURE) से लड़ने में मदद करता है। कैल्शियम और विटामिन डी का प्रतिदिन नियमित सेवन करने से आपकी ऊँचाई(HEIGHT) और शारीरिक बल दोनों में विकास होता है।
कैल्शियम की कमी होनेपर :-
कैल्शियम की कमी होनेपर डिप्रेशन,हड्डियां कमजोर होना, अनिंद्रा,व्यक्तित्व(PERSONALITY) में बदलाव आना। कैल्शियम की कमी के कारण हड्डियों का आसानी से टूटने(FRACTURE) का खतरा बना रहता है। दांत 99% कैल्शियम से बने होते है इसकी कमी से दांत कमजोर हो जाते है अथवा इससे हड्डियां में दर्द शुरू हो जाता है। कैल्शियम के उपाय/स्त्रोत(SOURCE) :-
कैल्शियम सबसे ज्यादा दूध से बने सामानों जैसे चीज़(CHEESE),दही में सबसे ज्यादा पाया जाता है। इसके आलावा फलो में पाया जाता है जैसे संतरा,कीवी और चिकन और अंडे में भी पाया जाता है। बादाम भी इसका एक अच्छा स्त्रोत है।
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Summit(समिट)
आज हम बात करनेवाले है सुपरकंप्यूटर्स की सुपरकंप्यूटर्स हर देश के लिए बहुत उपयोग और जरुरी हिस्सा है। सुपरकंप्यूटर्स आमतौर पर उपयोग किये जानेवाले कंप्यूटर्स से बहुत अधिक शक्तिशाली होते है।आज हम आपको ऐसे ही शक्तिशाली सुपरकंप्यूटर के बारे में बतानेवाले है जो एक देश नहीं बल्कि पुरे धरती में सबसे शक्तिशाली और निपुण कंप्यूटर है जिसका नाम समिट है। आइये और जानकारी प्राप्त करते है :-
इस सुपरकंप्यूटर ने अब तक के सारे सुपरकंप्यूटर में सबसे अधिक और अच्छा प्रदर्शन किया है। यह सुपरकंप्यूटर्स धरती के 500 सुपरकंप्यूटर्स में पहले पायदान पर है। समिट का वैज्ञानिक नाम ओएलसीएफ-4(OLCF-4) है। इसका निर्माण आई बी एम(IBM) द्वारा किया गया और इसे जूूून 2018 में धरती का सबसे तेेेज़ सुपरकंप्यूटर घोषित किया गया था। यह ओक रिज नेशनल लेबोरेटरी(OAK RIDGE NATIONAL LABORATORY) में किया जाता है/वही से इसे चलाया जाता है। यह अमेरिका में स्थित है।
यह 200पेटाफ्लॉप्स(200 PETAFLOPS) तक का निर्माण कर सकता है। इसका वर्तमान पेटाफ्लॉप्स लिनपैक बेंचमार्क(LINPACK BENCHMARK) द्वारा 122.3 मापा गया था। यह 250पेटाबाइट्स(250 PB) जितनी जगह(STORAGE) से लैस है। जो की एक मामूली कंप्यूटर से हजार गुना ज्यादा है।
इसे बनाने का खर्च 1400 हज़ार करोड़ रूपए आया था। समिट मे कुल मिलाकर 4608 सर्वर है और हर एक समिट सर्वर ऐरे(ARRAY) में दो IBM पॉवर9 सीपीयू के साथ बाइस(22) प्रोसेसिंग कोर्स(IBM POWER 9 CPU WITH 22 PROCESSING CORES) लगे हुये है।
इसमें 2 लाख से भी ज्यादा प्रोसेसिंग सीपीयू लगे हुए जो 10पेटाफ्लॉप्स(PETAFLOPS) से भी ज्यादा रैम(RAM) से जुड़े हुए है और हर एक सर्वर में छह एनवीडिया टेस्ला V100 GPU काम करते है।